Gold Jewellery Vs Gold Coin: सोने की ज्वैलरी खरीदें या बिस्किट-सिक्का, जानिए किसमें हैं ज्यादा फायदा

Gold Jewellery Vs Gold Coin:अक्सर लोग घरों में सोने के गहने खरीदकर रखते है और जब उन्हें पैसे की जरुरत होती है तो ये लोग या तो इन्हें गिरवी रखकर पैसे ले लेते है या फिर गहने बेचकर पैसे हासिल कर लेते है। ये तो हो गई आम बात लेकिन क्या आप जानते है कि गहनें खरीदना फायदेमंद है या सोने के बिस्किट- सिक्का...अगर नहीं तो ये खबर आपके काम की है। आज हम आपको बताएंगे कि सोने की कौन-सी वस्तु खरीदना आपके लिए फायदेमंद है। 
 
Gold Jewellery Vs Gold Coin: सोने की ज्वैलरी खरीदें या बिस्किट-सिक्का, जानिए किसमें हैं ज्यादा फायदा

NEWS HINDI TV, DELHI : Gold Jewellery Vs Gold Coin- भारत में सोने( Gold ) के प्रति हर वर्ग के लोगों का खास लगाव है, चाहे गरीब हो या अमीर, हर परिवार सोने के जेवर खरीदने और पहनने की इच्छा रखता है। क्योंकि , सोने के आभूषण ना सिर्फ शान बढ़ाते हैं बल्कि बुरे वक्त में आर्थिक तौर( economically ) पर काम भी आते हैं।


सोने के जेवरों( gold jewelery ) को रखकर आप आसानी से लोन ले सकते हैं या बेचकर तुरंत पैसा हासिल कर सकते हैं। ये वो बातें है जो सब जानते हैं लेकिन ज्यादातर लोग शायद यह नहीं जानते हैं कि सोने के जेवर खरीदना निवेश के लिहाज से सही नहीं है क्योंकि अगर कैलकुलेशन से चलें तो यह नुकसान का सौदा साबित होता है।

 

 


थोड़ी देर के लिए आपको यह बात परेशान कर सकती है कि सोने की ज्वैलरी खरीदना कैसे नुकसान का सौदा हो गया। आइये आपको बताते हैं कि निवेश के नजरिये गोल्ड ज्वैलरी और गोल्ड बिस्किट( Gold Biscuit ) खरीदने में क्या ज्यादा बेहतर है?


गहनों को लेकर ये सोच बदल दें-


किसी भी ज्वैलरी शॉप( Jewelery Shop ) पर जाने पर अलग-अलग डिजाइनों के आभूषण जिनमें हार, अंगूठी, गले की चेन और कई लोगों को आकर्षित करते हैं। सोने की चमक और ज्वैलरी के डिजाइन को देखकर लोग अक्सर आभूषण खरीदते हैं यह सोचकर कि कुछ साल पहने लगेंगे और फिर बाद में बेचने पर अच्छा रिटर्न भी मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है।


ज्वैलरी बनाने का खर्च-


सोने की ज्वैलरी पर खरीदने या बनवाने पर मेकिंग चार्ज देना होता है। लेकिन, जब आप गहने बेचते हैं या एक्सचेंज करते हैं तो मेकिंग चार्ज का अमाउंट नहीं मिलता है। अगर आप बिस्किट खरीदते हैं तो इसमें ऐसा नहीं होता है। गोल्ड ज्वैलरी पर मेकिंग चार्ज प्रति ग्राम और कुल रकम के हिसाब से लगता है। हालांकि, यह डिजाइन के हिसाब से अलग-अलग होता है। मेकिंग चार्ज प्रति ग्राम 250 रुपये और कुल रकम पर 10 से 12 प्रतिशत तक हो सकती है। अगर आप 6 लाख रुपये की गोल्ड ज्वैलरी बनवाते हैं तो 10 फीसदी मेकिंग चार्ज के तौर 60,000 रुपये देने पड़ते हैं। वहीं, गोल्ड ज्वैलरी बनवाने पर सोने की शुद्धता के लिए फिल्टर चार्ज भी लिया जाता है।

बेचने पर पूरी कीमत नहीं-


गोल्ड ज्वैलरी( Gold Jewelery ) बेचने पर पूरी कीमत नहीं मिलती है। क्योंकि, आभूषण के निर्माण में गोल्ड के साथ अन्य धातुओं का इस्तेमाल होता है। जब भी आप गहनों को बेचने जाते हैं तो भुगतान गोल्ड की मात्रा से हिसाब से होता है। लेकिन, बिस्किट में ऐसा नहीं होता है।

समझें नफा-नुकसान का अंतर-


मान लीजिये आप 10 ग्राम गोल्ड की ज्वैलरी खरीदते हैं तो भाव 62,740 रुपये ऊपर मेकिंग चार्ज और फिल्टर चार्ज देना होता है 6000 (10 फीसदी के हिसाब से) से ज्यादा होता है। वहीं, सोने का बिस्किट खरीदने पर आपको सिर्फ 62,740 रुपये देना होगा। वहीं, जब आप गहने को बेचने जाएंगे तो मेकिंग चार्ज और फिल्टर चार्ज नहीं मिलेगा। वहीं, ज्वैलरी पर कटौती( deduction on jewelery ) के साथ भुगतान होगा, क्योंकि पेमेंट ज्वैलरी में गोल्ड की मात्रा के आधार पर होगा। ऐसे में निवेश के लिहाज से ज्वैलरी खरीदना नुकसान का सौदा साबित होता है।