चाट-पकौड़ी और पान बेचने वाले निकले करोड़ों के मालिक, Income Tax और GST की जांच में हुआ खुलासा
Income Tax : आज हम आपको ऐसी खबर बताएंगे जिसको जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आयकर विभाग और GST की जांच में हुए खुलासे के अनुसार आपको बता दें कि चाट-पकौड़ी और पान बेचने वाले जैसे लोग करोड़पति निकले हैं। लोग टैक्स और जीएसटी के चक्कर में पड़े रहते हैं और ये लोग न किसी को एक रुपया टैक्स देते है और करोड़ों की प्रोपर्टी के मालिक हैं. चलिए नीचे जानते है पुरी खबर.
NEWS HINDI TV, DELHI : उत्तर प्रदेश( Uttar Pradesh ) में देखने में बेहद साधारण और गरीब लोगों के करोड़पति होने की खबरें अक्सर लोगों को हैरान कर जाती है। ये लोग बीच बाजार में या फिर सड़क में चाट-पकौड़ी, खस्ता-कचौड़ी, चाय-समोसा और पान की गुमटी लगाए मिल जाते हैं।
फूड सेफ्टी ( food safety )का भरोसा दिलाने वाला FSSAI सर्टिफिकेट लिए बगैर कई सालों से ऐसे काम कर रहे कारोबारी पुलिस और कमेटी के आने पर सामान समेट कर निकल लेते हैं। ऐसे मामलों को लेकर इस बार सूबे का कानपुर शहर सुर्खियों में है। जहां एक दो नहीं बल्कि 250 से ज्यादा ऐसे रईसों का कच्चा-चिठ्ठा खुलकर सामने आया है।
जांच में हुए हैरान कर देने वाले खुलासे-
ऐसे रईसों की सूची में आपकी गली-मोहल्ले के छोटे-छोटे किराना और दवा व्यापारी भी करोड़पति हैं। ताजा खुलासे के बाद तो माना जा सकता है कि आपके मोहल्ले के मोड़ पर खड़े होकर फल बेचने वाला भी करोड़ों का मालिक हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आयकर विभाग( Income tax department ) की जांच में कुछ फल विक्रेता भी करोड़पति और सैकड़ों बीघा खेती लायक अच्छी जमीन के मालिक पाए गए हैं।
कबाड़ी के पास करोड़ो की प्रॉपर्टी-
आपके पास भले ही एक कार हो और कोरोना काल में जिसकी ईएमआई( EMI ) देने में आपको दिक्कत आ रही हो लेकिन कानपुर के अपरिचित रईसों की बात करें तो कबाड़ी के पास भी तीन-तीन कार होने का खुलासा हुआ है। ऐसे धनवान आयकर ( Income Tax ) के नाम पर न तो एक धेला टैक्स देते हैं न ही जीएसटी ( GST ) से इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता है। शहर के लालबंगला इलाके का एक और बेकनगंज के दो कबाड़ियों ने तीन संपत्तियां( Properties ) दो साल में खरीदीं जिनकी कीमत दस करोड़ से ज्यादा है।
Income tax विभाग की जांच में हुए कई खुलासे-
देखने में 'गरीब' दिखने वाले इन छुपे रुस्तम धन्नासेठों पर आयकर विभाग की नजर लंबे समय से थी। आयकर विभाग( Income tax department ) और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच में ऐसे 256 ठेले वाले करोड़पति निकले हैं। डेटा सॉफ्टवेयर और अन्य तकनीकि टूल्स की मदद से जब इनकी कुंडली खुली तो IT विभाग के अधिकारी दंग रह गए।
'चार साल में 400 करोड़ की प्रापर्टी का खेल'-
प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर इन व्यापारियों ने एक पैसा टैक्स का नहीं दिया लेकिन चार साल में करीब 375 करोड़ रुपये से ज्यादा की की प्रापर्टी खरीदी गई ली। ये संपत्तियां आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटी जैसे बेहद महंगे कामर्शियल इलाकों में खरीदी गईं। दक्षिण कानपुर में रिहायशी जमीनें भी खरीदीं। 30 करोड़ से ज्यादा के केवीपी खरीद डाले। 650 बीघा कृषि जमीन के मालिक भी ये बन गए।
पान वालों और खस्ता-चाट वालों का निवेश उड़ा देगा होश-
आर्यनगर की दो, स्वरूप नगर की एक और बिरहाना रोड की दो पान दुकानों के मालिकों ने कोरोना काल में पांच करोड़ की प्रापर्टी खरीदी है। मालरोड का एक खस्ते वाला अलग-अलग ठेलों पर हर महीने सवा लाख रुपए किराया दे रहा है। वहीं स्वरूप नगर, हूलागंज के दो खस्ते वालों ने दो इमारतें खरीद लीं तो बिरहाना रोड, मालरोड, पी रोड के चाट व्यापारियों ने जमीनों पर खासा निवेश किया।
इस तरह से भी पकड़ी गई कर चोरी-
जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर छोटे किराना व्यापारियों और दवा व्यापारियों की संख्या 65 से ज्यादा है जिन्होंने करोड़ों रुपए कमाए हैं। किसी ने सरकारी आंख से ये पैसा छुपाने के लिए सहकारी बैंकों और छोटी फाइनेंस वाली स्कीम का सहारा लिया तो कई लोगों ने प्रापर्टी में ज्यादातर निवेश अपने भाई, बहन, भाभी, चाचा और मामा के नाम से भी किया। चालाकी दिखा रहे इन लोगों से ये गलती हो गई कि इन्होंने सरकारी दस्तावेजों में अपना पैन कार्ड लगा दिया। सिर्फ एक प्रापर्टी में पैन कार्ड और आधार आते ही इनका कच्चा चिट्ठा खुल गया।
इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में ऐसे रईसों का खुलासा हुआ था। लेकिन ये शायद पहला मामला है जब एक साथ इतने छुपे रुस्तम पकड़े गए हैं। साल 2019 में अलीगढ़ में एक बेहद ही चौंकाने वाला मामला सामने आया था। वाणिज्य कर विभाग की टीम ने जांच में एक छोटे से कचौड़ी व्यापारी के 60 लाख सालाना टर्न ओवर होने के मामले का खुलासा किया था।