Income Tax : इस गलती पर टैक्सपेयर्स को देना होगा 137 प्रतिशत जुर्माना, जानिये इनकम टैक्स के कैश से जुड़े नियम

Income Tax New Rules for Cash :हाल ही में आयकर विभाग ने कांग्रेस सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों पर छापेमारी कर 351 करोड़ रुपये का जब्त किया है। जब आयकर विभाग के अधिकारियों ने उनसे इतने ज्यादा पैसे रखने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने शराब की बिक्री से प्राप्त कमाई बताया। लेकिन अब सवाल उठता है कि घर में कितना कैश रख सकते हैं और क्या है इनकम टैक्स के कैश से जुड़े नियम- 

 

NEWS HINDI TV, DELHI : इनकम टैक्स की जांच के दौरान कांग्रेस सांसद धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों से 351 करोड़ रुपए कैश बरामद हुए। इस पर एएनआई से बात करते हुए साहू ने कहा कि मैं स्वीकार कर सकता हूं कि जो पैसा बरामद किया गया है वह मेरी कंपनी का है। जो नकदी बरामद की गई है वह मेरी शराब फर्मों से संबंधित है।

 

 

यह शराब की बिक्री से प्राप्त आय है। साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे राजनीतिक करियर के पिछले 30-35 वर्षों में यह पहली बार है कि इस तरह की घटना हुई है। जिससे मैं आहत हूं। आज क्या हो रहा है। मुझे दुख होता है। अब सवाल उठता है कि कोई व्यक्ति अपने पास अधिकतम कितना कैश रख सकता है।


कैश सीमा के बारे में आयकर नियम


घर में कैश रखने की स्वीकार्य सीमा और वर्तमान इनकम टैक्स नियमों के क्या हैं? आयकर अधिनियम के अनुसार घर में रखे जाने वाले धन यानी कैश की कोई सीमा निर्धारित नहीं है। हालांकि आयकर छापे के दौरान किसी व्यक्ति के लिए धन का स्रोत साबित करना महत्वपूर्ण है। आय से अधिक धन या कैश मिलने पर जुर्माना हो सकता है। आयकर विभाग को बेहिसाब धन को जब्त करने और कुल राशि का 137% तक जुर्माना लगाने का अधिकार है।


इन महत्वपूर्ण कैश नियमों पर रखें ध्यान


लोन या जमा के लिए 20000 रुपए या अधिक नकद स्वीकार नहीं करना। आयकर प्राधिकरण किसी भी व्यक्ति को लोन या जमा के लिए 20,000 रुपए या अधिक कैश स्वीकार करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाता है। व्यक्तियों को 50,000 रुपए से अधिक जमा या निकासी के लिए पैन नंबर जमा करना होगा।


केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुताबिक व्यक्तियों को एक समय में 50,000 रुपये से अधिक जमा या निकासी के लिए पैन नंबर जमा करना होगा। 30 लाख रुपये से अधिक नकद-आधारित संपत्ति लेनदेन पर भारतीय निवासी जो 30 लाख रुपये से अधिक नकद में संपत्ति खरीदते या बेचते हैं। वे जांच एजेंसियों के दायरे में आ सकते हैं।