Loan लेने के लिए होना चाहिए इतना सि‍बिल स्‍कोर, लोन लेने वाले जान लें ये जरूरी बात

Cibil Score : यह तो हम सब जानते हैं कि लोन के मामले में सिबिल स्कोर कितना अहम होता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि कौन सिबिल स्‍कोर (Cibil Score) को तय करता हैं। और किस तरह से इसे कैलकुलेट किया जाता हैं। अगर नहीं जानते तो आज हम आपको अपनी इस खबर में इससे जुड़ी पूरी जानकारी डिटेल में बताने जा रहे हैं। जानिए विस्तार से-
 

NEWS HINDI TV, DELHI: अगर आपने पहले कभी लोन लिया है या लेने वाले हैं तो आपको सिबिल स्कोर (CIBIL Score) के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। सिबिल स्कोर को क्रेडिट स्कोर भी कहा जाता है। CIBIL स्कोर देखकर बैंक तय करते हैं कि किसी व्यक्ति को लोन दिया जाना चाहिए या नहीं। सिबिल स्कोर 300 से 900 के बीच होता है। आमतौर पर 750 या उससे ऊपर का सिबिल स्कोर अच्छा माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके सिबिल स्कोर (CIBIL Score) की गणना किस आधार पर की जाती है और इसे कौन तैयार करता है? आइए बताते हैं-

लोन रीपेमेंट हिस्ट्री:


अगर आपने पहले कभी लोन लिया है या आप क्रेडिट कार्ड का इस्‍तेमाल करते हैं, तो इनकी रीपेमेंट हिस्‍ट्री को देखा जाता है. यानी आप समय पर EMI का भुगतान करते हैं या नहीं, इससे आपके सिबिल स्‍कोर प्रभावित होता है. समय से लोन की ईएमआई देने से आपका सिबिल स्‍कोर बढ़ता है और न देने से ये घटता है. 

क्रेडिट हिस्ट्री:

आप जब पहली बार लोन लेते हैं या क्रेडिट कार्ड लेते हैं, तभी से आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री बननी शुरू हो जाती है. सिबिल स्‍कोर तैयार करते समय आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री को भी देखा जाता है. आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री कितनी पुरानी है और आपने पहले भी लोन लेने के बाद या क्रेडिट कार्ड के इस्‍तेमाल के बाद समय से भुगतान किया है या नहीं, ये सभी चीजें देखी जाती हैं. इस क्रेडिट हिस्‍ट्री का असर भी आपके सिबिल स्‍कोर पर पड़ता है.

क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो:

आपके पास जितनी क्रेडिट लिमिट है उसका जितना प्रतिशत आप उपयोग करते हैं, उतना ही आपका क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो होता है. क्रेडिट कार्ड की जितनी भी लिमिट है, उसकी 30 फीसदी तक का ही इस्‍तेमाल करें. बहुत ज्‍यादा बड़ी खरीद क्रेडिट कार्ड से करने से बचें. ज्‍यादा क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो ये दिखाता है कि आपकी क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता बहुत ज्‍यादा है. इससे आपका सिबिल स्‍कोर प्रभावित होता है. 

क्रेडिट मिक्स:

आपने कितने अनसिक्‍योर्ड लोन और कितने सिक्‍योर्ड लोन पहले लिए हैं, इससे आपका क्रेडिट मिक्स सामने आता है. उदाहरण के तौर पर अगर आपने पहले अन-सिक्योर्ड लोन जैसे पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड वगैरह कई बार लिए हैं, तो ये दर्शाता है कि आपके पास फंड की कमी है और क्रेडिट पर आपकी निर्भरता बहुत ज्‍यादा है. इससे आपके सिबिल स्‍कोर पर बुरा असर पड़ता है. वहीं अगर आप जरूरत पड़ने पर सिक्‍योर्ड और अनसिक्‍योर्ड दोनों तरह के लोन लेते रहे हैं, और सभी का भुगतान समय पर किया है, तो ये दिखाता है कि आप हर तरह के लोन को मैनेज करने में समर्थ हैं. ऐसे में आपका क्रेडिट मिक्‍स संतुलित रहता है और आपका सिबिल स्‍कोर बेहतर होता है. यही वजह है कि ज्‍यादातर एक्‍सपर्ट अनसिक्‍योर्ड लोन ज्‍यादा बार लेने के लिए मना करते हैं.

अन्‍य वजह:

इनके अलावा भी कुछ और चीजों से आपके सिबिल स्‍कोर को कैलकुलेट किया जाता है जैसे-आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी, आपने पहले कभी लोन सेटलमेंट किया है, आप किसी के लोन के गारंटर हैं और उसका भुगतान नहीं हो रहा है आदि. इन सभी का भी आपके सिबिल स्कोर पर भी प्रभाव पड़ता है और इससे आपका स्‍कोर खराब हो सकता है.

कौन तैयार करता है सिबिल स्‍कोर:

तमाम क्रेडिट ब्‍यूरो सिबिल स्‍कोर (CIBIL Score) को जारी करते हैं. इनमें ट्रांसयूनियन सिबिल, इक्विफैक्स, एक्सपेरियन और सीआरआईएफ हाईमार्क जैसी क्रेडिट इंफर्मेशन कंपनियों को प्रमुख माना गया है, इन कंपनियों को लोगों के वित्तीय रिकॉर्ड इकट्ठा करने, इसे मेंटेन करने और इस डेटा के आधार पर क्रेडिट रिपोर्ट / क्रेडिट स्कोर जेनरेट करने का लाइसेंस प्राप्त है. ये क्रेडिट ब्‍यूरो बैंक और अन्य फाईनेंस संस्थान के पास जमा ग्राहक के डेटा जैसे बकाया लोन राशि, पुनर्भुगतान रिकॉर्ड, नए लोन / क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन और अन्य क्रेडिट संबंधी जानकारी आदि को लेकर उनका मूल्‍यांकन करते हैं और उसके आधार पर सिबिल स्‍कोर को तैयार करते हैं.