India Weather Update: मौसम की स्टीक जानकारी देगा डॉपलर रेडार, इंडिया में बिछेगा पूरा नेटवर्क
News Hindi TV: डिजिटल डेस्क नई दिल्ली, मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecast) प्रणाली को मजबूत करने और अपने मौसम संबंधी सेवाओं को और बढ़ाने के उद्देश्य से इस साल भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने खास तैयारी की है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि साल 2025 तक पूरा देश डॉप्लर रेडार (doppler radar) की जद में होगा। उन्होंने बताया कि खराब मौसम (bad weather) को लेकर जो भविष्यवाणी IMD (IMD weather alert) ने की है उसमें पिछले 9 साल में लगभग 40 फीसदी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिन में मौसम विभाग की भविष्यवाणी (weather forcast) और सटीक होगी। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि आखिर यह डॉप्लर रेडार क्या है (what is doppler radar) जिसके बाद मौसम विभाग की कोई भी भविष्यवाणी (mausam ki jankari) फेल साबित नहीं होगी। आइए सरल शब्दों में हम आपको समझाते हैं और आपके ज्ञान के सागर को और बढ़ते हैं।
आइए जानते है आखिर क्या है डॉप्लर रेडार (what is doppler radar)
डॉप्लर रडार (dpooler radar) की मदद से मौसम विभाग को 400 किलोमीटर तक के क्षेत्र में होने वाले मौसम बदलाव (Change Weather report) के बारे में सटीक जानकारीमिल पाएगी। लेकिन कैसे? यह सवाल भी आपके मन में होगा। चलिए बताते हैं। असल में रेडार डॉप्लर (doppler radar) प्रभाव का इस्तेमाल कर साइज में सबसे छोटी दिखने वालीं जिसे हम अतिसूक्ष्म तरंगे कह सकते हैं को भी कैच कर लेता है। जब यही तंरगे किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं तब यह रडार उनकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है। इसके साथ यह हवा में तैर रहे माइक्रोस्कोपिक पानी की बूंदों को पहचानने के साथ यह उनकी दिशा का भी पता लगाने में सक्षम है। डॉप्लर रडार (doppler radar) बूंदों के आकार, उनके रफ्तार से संबंधित जानकारी को हर मिनट अपडेट भी करता है। इस डेटा के अधार पर यह पता कर पाना मुश्किल नहीं होता है कि किस क्षेत्र में कितनी वर्षा होगी या तूफान आएगा। इससे IMD की भविष्यवाणी (IMD Weather Forcast) की सटीकता में काफी अंतर आएगा।
डॉपलर सिद्धांत पर करता है काम
यह डॉपलर सिद्धांत पर काम करता है। इस सिद्धांत के आधार पर रडार को एक पैराबोलिक डिश एंटीना और एक फोम सैंडविच स्फेरिकल रेडोम का उपयोग किया गया है। इसका उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान (Weather Forecast) एवं निगरानी की सटीकता में सुधार के लिए डिजाइन किया गया है। डॉपलर वेदर रडार (doppler weather radar) में बारिश (rain) की तीव्रता, एयर ग्रेडिएंट और वेग को मापने के लिए उपकरण लगे होते हैं। यह धूल के बवंडर की दिशा के बारे में सूचित करते हैं। आईएमडी (IMD) के अधिकारियों ने बताया कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण टूल के रूप में साबित होगा। इसकी मदद से राज्यों में आने वाली आपदाओं को टालने में भी मदद मिलेगी। खासकर उन राज्यों में जहां गरज, आंधी के साथ तूफान और भारी बरसात की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। साल 2022 के डेटा के अनुसार, गरज के साथ बिजली की घटनाओं के चलते सबसे ज्यादा 1285 जिंदगियां गई हैं। वहीं बाढ़ और भारी बरसात (heavy rain) के चलते 835 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
2013 में थे 15 अब 2023 में 37 डॉपलर रडार
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह मौसम विभाग के 148वें स्थापना दिवस के मौके पर डॉपलर रडार (doppler radar) के बारे में खास जानकारी दी। जितेंद्र सिंह ने बताया कि देश में डॉपलर रडार की संख्या 2013 में जहां माज्ञ 15 थी तो वहीं 2023 में यह बढ़कर 37 पर पहुंच गया है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले 2 से 3 साल में देश में 25 और रेडार लगाए जाएंगे। जिसके बाद संख्या बढ़कर 62 हो जाएगी। सिंह ने बताया कि 2025 तक पूरे देश में डॉपलर रेडार नेटवर्क के अंदर आ जाएगा। IMD ने रविवार को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में 4 डॉपलर मौसम रेडार चालू है।