Nakshatra: विशाखा नक्षत्र वालें लोगों में होता हैं जीतने का जुनून, गुस्से में कर लेते हैं अपना ही नुक्सान

Vishakha Nakshatra Rashi: विशाखा नक्षत्र के जातकों में विजय पाने की क्षमता तो होती है, लेकिन इन्हें क्रोध बहुत जल्द आता है. और गुस्से में ये लोग अपना नुक्सान कर बैठते हैं ।यह तुला और वृश्चिक राशि को जोड़ने वाला नक्षत्र है, इसलिए जिन लोगों की तुला अथवा वृश्चिक राशि है, उन लोगों का नक्षत्र विशाखा हो सकता है. जानिए...
 
 

NEWS HINDI TV, DELHI: Vishakha Nakshatra 2023: विशाखा नक्षत्र में मुख्य रूप से चार तारे हैं, जो एक आयताकार मेज के आकार में दिखते हैं. संस्कृत में विशाखा शब्द कार्तिकेय के लिए इस्तेमाल हुआ है. एक धनुर्धारी के बाण संधान के समय की मुद्रा, एक पांव आगे और एक पांव पीछे, आंखे टारगेट की ओर, इसे कहते हैं विशाखा. भगवान शिव का एक नाम विशाखा भी है. कुछ विद्वान कृष्ण की प्रिया राधारानी की सखी व राधा जी के प्रतिरूप को विशाखा मानते हैं. इस नक्षत्र के देवता इंद्र और अग्नि हैं. 

 

 

 


विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातकों में विजय पाने की क्षमता तो होती है, लेकिन इन्हें क्रोध बहुत जल्द आ जाता है. अपने विपरीत जरा सी भी बात इन्हें सहन नहीं होती है. ऐसे मामलों में इनको इतना तेज गुस्सा आता है कि फिर बिना सोचे-समझे और परिणाम की कल्पना किए ब‍िना यह सामने वाले से टकरा जाते हैं. इसी कारण विशाखा नक्षत्र वाले कई बार छोटी-छोटी समस्याओं में उलझकर अपना समय बर्बाद कर देते हैं और इस चक्कर में बड़े अवसर इनके हाथ से निकल जाते हैं. 

 


विशाखा नक्षत्र (Vishakha Nakshatra ) में जन्मे जातकों में विजय पाने की क्षमता तो होती है, लेकिन इन्हें क्रोध बहुत जल्द आ जाता है. अपने विपरीत जरा सी भी बात इन्हें सहन नहीं होती है. ऐसे मामलों में इनको इतना तेज गुस्सा आता है कि फिर बिना सोचे-समझे और परिणाम की कल्पना किए ब‍िना यह सामने वाले से टकरा जाते हैं. इसी कारण विशाखा नक्षत्र वाले कई बार छोटी-छोटी समस्याओं में उलझकर अपना समय बर्बाद कर देते हैं और इस चक्कर में बड़े अवसर इनके हाथ से निकल जाते हैं. 


इन लोगों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्रोध में आपा न खोएं. यह लोग कभी-कभी बहुत अधिक जुनूनी हो जाते हैं और किसी की भी नहीं सुनते हैं, जिससे कि इनको ही हानि होती है. अधिक हानि के बाद यह अध्यात्म की ओर मुड़ जाते हैं या फिर असफल होने पर प्रभु की शरण में चले जाते हैं.


उपाय:
बबूल को कीकर भी कहा जाता है. पुरानी मान्यताओं के अनुसार, इस पेड़ में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है. प्राचीन समय से इस पेड़ की पूजा की जाती रही है और इस पेड़ को काटना महापाप माना जाता है. बबूल का गोंद औषधीय गुणों से भरपूर होता है तथा अनेक रोगों के उपचार में काम आता है. बबूल की हरी पतली टहनियां दातुन के काम आती हैं. इस नक्षत्र के लोग किसी खुले स्थान में बबूल का पेड़ लगाने के बाद उसकी रक्षा करते हुए अपने दुखों को दूर करने की प्रार्थना कर सकते हैं.