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ancestral property : रजिस्टर्ड वसीयत को कोर्ट में चैलेंज कर सकते है या नहीं, जानिए का कानून

Rules related to will in India : वसीयत या विल (Will) एक कानूनी दस्तावेज है जो बताता है कि कोई भी व्यक्ति अपनी मौत के बाद अपनी संपत्ति को कैसे और किनमें बांटना चाहता है. किसी भी परेशानी से बचने के लिए वसीयत को रजिस्टर्ड करना चाहिए. आइए जानते है इसके बारे में पूरी जानकारी।

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ancestral property : रजिस्टर्ड वसीयत को कोर्ट में चैलेंज कर सकते है या नहीं, जानिए का कानून

NEWS HINDI TV, DELHI : किसी भी व्यक्ति की पैतृक संपत्ति में उनके सभी बच्चों और उसकी पत्नी का बराबर का अधिकार होता है. यानी अगर किसी परिवार में एक व्यक्ति के तीन बच्चे हैं, और उन बच्चों की शादी और बच्चे भी हो चुके हैं, तो उसकी पैतृक संपत्ति का बंटवारा पहले उन तीनों बच्चों में होगा. उसके बाद उन तीनों के बच्चों में उस संपत्ति का बंटवारा होगा, जो संपत्ति उनके पिता के हिस्से में आयी है. संपत्ति के बंटवारे को लेकर घरों में अक्सर आपने विवाद होते देखा ही होगा. इन विवादों से बचने के लिए ही व्यक्ति अपनी वसीयत तैयार करता है.

 

 

 

 

अगर कोई शख्स चाहता है कि उसकी मौत के बाद उसकी संपत्ति कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिले तो इसके लिए वसीयत जरूरी है. बिना वसीयत किए मौत की स्थिति में संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानूनों के तहत होगा. किसी भी तरह की परेशानी या विवाद से बचने के लिए वसीयत को पंजीकृत करना जरूरी है. लेकिन सवाल ये आता है कि क्या रजिस्टर्ड वसीयत को भी कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. चलिए जानते हैं.


 

यह बिल्कुल सही है कि वसीयत को चुनौती दी जा सकती है. इसमें खामी होने पर ऐसा किया जा सकता है. फिर चाहे वह रजिस्टर्ड ही क्यों न हो. इसके कई आधार होते हैं. हालांकि, वसीयत को कोर्ट में चुनौती न दी जा सके, इसके लिए सुनिश्चित करना होगा कि इसका निष्पादन भारतीय उत्तराधिकारी कानून, 1925 के प्रावधानों के अनुसार हो.

मान लीजिए एक महिला को उसके माता-पिता से संपत्ति मिली. महिला ने चार बेटों में से एक के पक्ष में वसीयत कर दी, वह संपत्ति के मुक़दमें में नहीं है. अब वह महिला जीवित नहीं है. महिला के मरने के बाद बाकी 3 भाइयों को वसीयत के बारे में पता चला. वसीयत पहले से ही तीनों भाइयों के ज्ञान के बिना अदालत में पंजीकृत करा दी गई थी. क्या बाकी 3 भाई वसीयत को चुनौती दे सकते है?


 

हां, वसीयत की वैधता और वास्तविकता को हमेशा चुनौती दी जा सकती है. आप न्यायालय में वसीयत को चुनौती दे सकते हैं जब कानूनी तौर पर (आपका भाई) अपने नाम में उपकरण / वसीयत स्थानांतरित करने के लिए प्रोबेट मुक़दमा दर्ज करेगा उस दौरान, तब आप अपना तर्क दे सकते हैं और अपनी मां की वसीयत को चुनौती भी दे सकते हैं. आपके पास उपयुक्त न्यायालय में मुकदमा दायर करने का विकल्प है.

यदि आपके परिवार में चार भाई हैं, और किसी एक ने अपनी माँ की मृत्यु के उपरांत उनकी वसीयत के दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर करवा लिए हैं, तो आप उस वसीयत को न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको किसी अनुभवी वकील की मदद लेनी पड़ेगी क्योंकि वह ही आपकी ऐसे मामले में मदद कर सकता है. वसीयत को रजिस्टर्ड करना उसे अबाध्य नहीं बनाता है. इसे हमेशा कोर्ट के सामने चुनौती दी जा सकती है. यह भी जरूरी नहीं है कि रजिस्टर्ड वसीयत मृतक का अंतिम वसीयतनामा है. एक नई अपंजीकृत वसीयत भी बनायी जाती है, जिसे वैध माना जाएगा.


वसीयत को चुनौती के आधार


 

अगर एक व्यक्ति को वसीयत बनाने के लिए धोखा दिया जाता है तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. इस तरह के वसीयत को वसीयतकर्ता की स्वतंत्र सहमति से नहीं माना जाता है और इसे अदालत रद्द कर सकती है .

अगर कोई वसीयत आपको बल या धमकी का इस्तेमाल करके बनाया गया है ऐसी वसीयत अवैध है और अदालत उसे रद्द कर सकती है. कानून के मुताबिक 18 साल से बड़े लोग ही वसीयत बना सकते हैं. माना जाता है कि व्यस्कों में वसीयत करने की क्षमता होती है. मानसिक क्षमता के आधार पर भी वसीयत को चुनौती दी जा सकती है.