High Court ने बताया, शादीशुदा महिला किसी और के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकती है या नहीं
NEWS HINDI TV, DELHI : आपको बता दें कि लिव-इन रिलेशनशिप (live-in relationship) में रह रही एक विवाहित महिला की याचिका खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी विवाहित महिला अपने पति को तलाक दिए बिना किसी और के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकती। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया हैं।
हाल ही में मिली एक अहम जानकारी के मुताबिक, एक महिला ने सुरक्षा की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे जस्टिस रेनू अग्रवाल की सिंगल बेंच ने सिरे से खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट (High Court) ने अपने आदेश में कहा कि बगैर तलाक विवाहिता लिव इन में नहीं रह सकती है, ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी।
और इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि कानून के खिलाफ रिश्तों को कोर्ट का समर्थन नहीं मिल सकता. हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया है, तो वे दोबारा शादी नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा, अगर पहले से शादीशुदा लोगों के संबंधों को कोर्ट का समर्थन मिलेगा तो समाज में अराजकता फैल जाएगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट हो जाएगा।
इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने कासगंज की पूजा कुमारी व अन्य की लिव-इन रिलेशनशिप की सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका दो हजार रुपये हर्जाने लगाते हुए खारिज कर दी है।
याचीगण का कहना था कि एसपी कासगंज से सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई न होने पर हाई कोर्ट से सुरक्षा की गुहार (Appeal for protection from High Court) लगाई है। विपक्षी द्वितीय (याची की पत्नी) अनीता कुमारी के अधिवक्ता ने आधार कार्ड पेश कर कहा कि वह उसकी शादीशुदा पत्नी है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह भी बताया गया कि प्रथम याची पुष्पेंद्र की पत्नी है। किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है। प्रथम याची दो बच्चों की मां है और याची दो के साथ संबंध में रह रही है। कोर्ट ने इसे विधि विरूद्ध माना और सुरक्षा देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।