Indian Railways : रेल यात्रियों के किराए पर 55 प्रतिशत की छूट, रेल मंत्री ने दी जानकारी
NEWS HINDI TV, DELHI: Indian Railway- भारत का रेल नेटवर्क एशिया में सबसे बड़ा और दुनिया में चौथे नंबर है. खास बात तो ये है कि भारत में हर साल ट्रेन में सफर करने वालों की संख्या 700 करोड़ से ज्यादा है. अब आप समझ सकते हैं कि भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट( public transport ) में रेलवे का कितना अहम योगदान है. क्या आपको पता है कि सरकार को एक रेलवे पैसेंजर को लाने और ले जाने में कितना खर्च आता है?
इस खर्च के मुकाबले सरकार किराए के रूप कितना वसूल करती है? सरकार प्रत्येक पैसेंजर को 55 फीसदी तक की छूट देती है. इसका मतलब है कि रेलवे पैसेंजर की 55 फीसदी तक की बचत होती है. इस बात की जानकारी खुद रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव( Ashwini Vaishnav ) ने दी है. आइए आपको भी बताते हैं आखिर रेलवे लेकर उन्होंने क्या—क्या जानकारी दी?
1,000 अमृत भारत ट्रेन का निर्माण-
रेलमंत्री( railway Minister ) अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि भारत आने वाले वर्षों में नयी पीढ़ी की कम से कम 1,000 अमृत भारत ट्रेन का निर्माण करेगा जबकि 250 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन बनाने का काम जारी है. वैष्णव ने एक इंटरव्यू में यह भी कहा कि रेलवे ने वंदे भारत ट्रेनों( vande bharat trains ) के निर्यात पर काम पहले ही करना शुरू कर दिया है और देश द्वारा पहला निर्यात अगले पांच वर्षों में किये जाने की उम्मीद है.
नरेन्द्र मोदी( Narendra Modi )सरकार के पिछले 10 सालों में रेलवे द्वारा की गई परिवर्तनकारी पहलों पर उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल (चिनाब पुल) और नदी के नीचे पहली जल सुरंग (कोलकाता मेट्रो के लिए) रेल क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति है.
वैष्णव ने जारी बुलेट ट्रेन परियोजना( bullet train project ) के हिस्से के रूप में मुंबई और ठाणे के बीच भारत की पहली समुद्र के नीचे सुरंग के निर्माण की शुरुआत पर भी बात की और कहा कि दुनिया में केवल पांच देश हैं जिनके पास ऐसी टेक्नोलॉजी है. मुंबई और ठाणे के बीच 21 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित सुरंग में 9.7 किलोमीटर की दूरी समुद्र से होकर गुजरेगी, जो इसकी सतह से 54 मीटर नीचे होगी.
रेलवे पैसेंजर्स की 55 फीसदी कराता है बचत-
वैष्णव ने रेलवे( railway fare ) के किराया संरचना और उसकी सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि हर साल लगभग 700 करोड़ लोग रेलवे से सफर करते हैं. व्यावहारिक रूप से प्रतिदिन ढाई करोड़ लोग रेलवे से सफर करते हैं. किराया संरचना ऐसी है कि यदि एक व्यक्ति को ले जाने की लागत 100 रुपए है, तो हम 45 रुपए लेते हैं. इसलिए हम रेलवे से यात्रा करने वाले हर व्यक्ति को औसतन 55 फीसदी की छूट देते हैं.
मंत्री ने कहा कि हमने अमृत भारत ट्रेन डिजाइन की है, जो एक विश्व स्तरीय ट्रेन है. इसके जरिए केवल 454 रुपए के खर्च पर 1,000 किलोमीटर की यात्रा की जा सकती है. वैष्णव ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में कम से कम 1,000 नई पीढ़ी की अमृत भारत ट्रेनों का निर्माण करेगा और 250 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन बनाने का काम जारी है.
रेलवे का एनुअल खर्च-
वैष्णव ने रेलवे( annual expenditure of railways ) के कुल वार्षिक व्यय का ब्यौरा दिया और कहा कि पेंशन, वेतन, ऊर्जा खर्च और पट्टा-ब्याज भुगतान पर व्यय क्रमशः 55,000 करोड़ रुपए 97,000 करोड़ रुपए, 40,000 करोड़ रुपए और 32,000 करोड़ रुपए है. उन्होंने कहा कि अन्य 12,000 करोड़ रुपये रखरखाव पर खर्च होते हैं और सभी मिलकर लगभग 2.40 लाख करोड़ रुपये होते हैं. वैष्णव ने कहा, ‘हम इन सभी खर्चों को पूरा करने में सक्षम हैं क्योंकि टीम प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में बहुत कड़ी मेहनत कर रही है.’
नई टेक्नोलॉजी पर ध्यान-
उन्होंने कहा कि आज, रेलवे स्टेशन 10 साल पहले की तुलना में बहुत अलग हैं. स्टेशन और ट्रेनें साफ-सुथरी हैं और हर ट्रेन में जैव-टॉयलेट है.’ रेल मंत्री के मुताबिक, नई तकनीक के आने से वंदे भारत जैसी ट्रेनें युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गई हैं.
वैष्णव ने कहा कि व्यावहारिक रूप से, हर हफ्ते एक वंदे भारत ट्रेन बेड़े में शामिल हो रही है. हम आने वाले कुछ वर्षों में ही कम से कम 400 से 500 ट्रेन का निर्माण करेंगे. पटरी क्षमता विस्तार पर उन्होंने कहा कि पिछले साल, हमने 5,200 किलोमीटर का नई पटरी जोड़ी थी. इस साल, हम 5500 किलोमीटर की नई पटरी जोड़ेंगे. यह हर साल देश में स्विट्जरलैंड को जोड़ने जैसा है. इसी गति से काम चल रहा है.
सेफ्टी पर 10 साल में 1.27 लाख करोड़ खर्च-
यात्रियों की सेफ्टी को लेकर उन्होंने कहा कि वैष्णव ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में, यात्रियों की सुरक्षा पर 1.27 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया गया है और हर साल लगभग 7000 किलोमीटर लंबी खराब पटरियों को बदला गया है. उन्होंने भारत में रेल नेटवर्क( rail network in India ) पर लागू की जा रही स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली कवच की विशेषताओं पर प्रकाश डाला और कहा कि सभी देशों ने 1980 के दशक के आसपास एटीपी को लागू करना शुरू कर दिया था लेकिन उस समय की हमारी सरकारों ने इस महत्वपूर्ण यात्री सुरक्षा सुविधा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया.
बुलेट ट्रेन में देरी का कौन जिम्मेदार-
वैष्णव ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन में देरी के लिए महाराष्ट्र की पूर्ववर्ती सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि वापी से अहमदाबाद तक गुजरात खंड पर निर्माण बहुत तेज गति से चल रहा था, लेकिन हम मुंबई से वापी तक खंड पर शुरू नहीं कर सके क्योंकि ठाकरे की सरकार ने हमें इसकी कभी अनुमति नहीं दी. सरकार बदलने के बाद हमें सभी मंजूरी मिल गई. उन्होंने इससे इनकार किया कि रेलवे समृद्ध वर्ग को अधिक सुविधाएं देने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान नॉन ऐसी कोच पर है क्योंकि हमारे प्रमुख ग्राहक कम आय वाले परिवार हैं. हमारे पास मौजूद 67,000 कोच में से दो-तिहाई नॉन एसी हैं.