IRCTC : 1 किलोमीटर तक चलने में ट्रेन खाती है कितना तेल, जानिए कितने रूपए में टंकी होती है फुल

NEWS HINDI TV, DELHI: हम में से अक्सर लोग ट्रेन (Train) का सफर करते हैं. कभी भी लंबी यात्रा करनी हो तो हम ट्रेन को तरजीह देते हैं. पहले ट्रेन भाप से चलती थी तो इसके लिए कोयले का इस्तेमाल होता था. इसके बाद डीजल से चलने वाली ट्रेन का ईजाद हुआ. अब ट्रेन बिजली से चलती है. आज हम आपको बताएंगे कि डीजल (Diesel) से चलने वाली ट्रेन का माइलेज कितना होता है.
5000 से 6000 लीटर तक होती है टंकी:
भारतीय रेल (Indian Railway) के इंजन में जो तेल की टंकी लगी होती है उसे तीन हिंस्सों में बांटा जाता है. 5000 लीटर, 5500 लीटर और 6000 लीटर. डीजल इंजन में प्रति किलोमीटर का एवरेज गाड़ी के लोड के मुताबिक होता है.
पैसेंजर में कम माइलेज:
ट्रेन के इंजन का माइलेज कई चीजों से तय होता है. डीजल इंजन से चलने वाली 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन (Passenger Train) की बात करें, तो ये 6 लीटर में एक किलोमीटर का माइलेज देती है. 24 कोच वाली एक्सप्रेस ट्रेन (Express Train) में जो डीजल इंजन लगा होता है वह भी 6 लीटर प्रति किलोमीटर का माइलेज देता है. इसके अलावा अगर कोई एक्सप्रेस ट्रेन 12 डिब्बों के साथ यात्रा करे, तो उसकी माइलेज 4.50 लीटर प्रति किलोमीटर हो जाती है.
बार-बार एक्सीलीटर ब्रेक की वजह से कम माइलेज:
पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन के माइलेज में अंतर इसलिए होता है, क्योंकि पैसेंजर ट्रेन सभी स्टेशनों पर रुकते हुए चलती है. उसमें ब्रेक और एक्सीलेटर (accelerator) का ज्यादा इस्तेमाल होता है. ऐसे में पैसेंजर ट्रेन का माइलेज एक्सप्रेस ट्रेन के मुकाबले कम होता है. इसके उलट एक्सप्रेस ट्रेन के स्टॉप काफी कम होते हैं और उन्हें ब्रेक और एक्सिलेटर का भी कम इस्तेमाल करना पड़ता है.
मालगाड़ी का एवरेज तय नहीं:
मालगाड़ी (Goods Train) में माइलेज बहुत ही अलग-अलग होता है. इसमें कई बार वजन ज्यादा होता है तो कई बार गाड़ी खाली चलती है. अगर मालगाड़ी पर वजन ज्यादा है तो माइलेज कम होगा. अगर मालगाड़ी पर वजन कम है तो माइलेज ज्यादा होगा.
इंजन को स्टार्ट होने में 20 से 25 मिनट लगते हैं:
ट्रेन रुकने के बावजूद ट्रेन के इंजन को बन्द नहीं करने के पीछे की वजह यह है कि इसको दोबारा स्टार्रट करने में 20-25 मिनट का वक्त लगता है. इसके अलावा इंजन बंद करने पर ब्रेक पाइप का प्रेशर काफी कम हो जाता है जिसे दोबारा उसी पोजीशन पर लाने में लंबा वक्त लगता है. ट्रेन के इंजन को स्टार्ट करने में ज्यादा तेल नहीं खर्च होता. इसको भी स्टार्ट करने में उतना ही तेल लगता है जितना बाइक या स्कूटर में.