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landlord tenant rights : मकान मालिक एक साल में कितना किराया बढ़ा सकता है , किराएदार जान लें अपने ये 5 अधिकार

Model Tenacny Act :लोग नौकरी की तलाश में अपने घर को छोड़कर महानगरों में आते हैं और किराए के मकान में रहकर अपना काम चलाते हैं. लेकिन कई बार मकान मालिक मनमानी करते हैं और किराएदार की मजबूरी का फायदा उठाते हैं. कभी भी वे किराएदारों को किराया बढ़ाने के लिए कह देते हैं या अचानक से मकान खाली करने के लिए बोल देते हैं. आइए खबर में आपको बताते है किराएदार के काम आने वाले उन पांच अधिकारों के बारे मे विस्तार से।
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landlord tenant rights : मकान मालिक एक साल में कितना किराया बढ़ा सकता है , किराएदार जान लें अपने ये 5 अधिकार

NEWS HINDI TV, DELHI: किरायेदार और मकान मालिक (Rights between tenant and landlord) के बीच रेंट से लेकर सुविधाओं तक किसी भी बात को लेकर विवाद हो जाता है. इन विवादों के समाधान के लिए केंद्र सरकार (Central government) ने 2021 में नया किराये कानून को मंजूरी दी थी. इसमें मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकार तय किए गए हैं. हालांकि, अब भी ज्यादातर लोग इस कानून से अनजान (unaware of the law) हैं.


केंद्र सरकार के Model Tenacny Act यानी मॉडल किरायेदारी अधिनियम में कई प्रावधान हैं, जो किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हितों की रक्षा करते हैं. इस कानून के अंतर्गत (under the law) राज्य सरकारों को नए नियम लागू करने की अनुमति भी दी गई है. आइये जानते हैं इस कानून में मकान मालिक और किरायेदार को क्या-क्या अधिकार (What rights do landlord and tenant have?) दिए गए हैं.


 

 

 

 

Model Tenacny Act क्या है ?


मॉडल किरायेदारी अधिनियम, का उद्देश्य 2021 घर-दुकान या किसी परिसर के किराये को विनियमित करने और मकान मालिकों और किरायेदारों के हितों की रक्षा करना और किराया प्राधिकरण की स्थापना करना है. इसके जरिए सरकार देश में एक समान रेंटल मार्केट (similar rental market) बनाने का मकसद रखती है.
इस कानून के तहत संपत्ति मालिक और किरायेदार के बीच एक लिखित समझौता यानी रेंट एग्रीमेंट (rent agreement) अनिवार्य है. रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में एक स्वतंत्र प्राधिकरण और यहां तक ​​कि किरायेदारी से संबंधित विवादों को लेने के लिए एक अलग अदालत की स्थापना की गई है.
 


इन नियमों का नही कर सकते उल्लंघन


किसी भी संपत्ति को किराये पर लेने से पहले सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा कराना होता है, लेकिन किरायेदारी कानून में इसके कुछ तय नियम हैं. आवासीय परिसर के लिए किरायेदार को सिक्योरिटी डिपॉजिट के तौर पर अधिकतम 2 महीने का किराया और गैर-आवासीय परिसर के लिए अधिकतम 6 महीने तक का किराया देना होता है. याद रखें मकान मालिक इससे ज्यादा सिक्योरिटी डिपॉजिट (security deposit) नहीं ले सकता है.

किरायेदार के मकान छोड़ने के 1 महीने के अंदर मकान मालिक को सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस देना होगा. वहीं, मकान मालिक द्वारा किराया बढ़ाने के लिए कम से कम 3 महीने पहले किरायेदार को नोटिस देगा.

किराये की प्रॉपर्टी की देखरेख मकान मालिक और किरायेदार, दोनों को मिलकर करनी होगी. घर की पुताई और रंगरोगन आदि की जिम्मेदारी मकान मालिक की (responsibility of the landlord) होगी, जबकि पानी के कनेक्शन को ठीक करवाना और बिजली कनेक्शन की मरम्मत आदि की जिम्‍मेदारी किरायेदार की ही होगी.

इस कानून के अनुसार, मकान मालिक जब चाहे तब किरायेदार के घर नहीं आ सकता है. मकान मालिक को आने से पहले से 24 घंटे पहले किरायेदार को सूचित करना होगा. वहीं, किसी भी प्रकार का विवाद होने पर मकान मालिक किरायेदार को बिजली-पानी की आपूर्ति को रद्द (Electricity and water supply canceled) नहीं कर सकता है.

यदि किसी मकान मालिक ने रेंट एग्रीमेंट में बताई गई सभी शर्तों को पूरा कर लिया है. इसके बाद भी किरायेदार, अवधि समाप्त होने पर परिसर खाली करने में विफल रहता है, तो मकान मालिक मासिक किराए को दोगुना करने का हकदार है और 2 महीने और उसे 4 गुना तक कर सकता है.