News hindi tv

Property : पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकार को लेकर जान लें ये नियम

Property : आज के समय में बेटा हो या बेटी सब समान माने जातें है लेकिन क्यों बेटे को ही घर का वारिस माना जाता है। बेटी को क्यो नहीं, इसीलिए की बेटी विवाह के बाद घर से चली जाती है। तो ऐसे में बेटीयों के मन में एक सवाल खड़ा होता है। उनका भी अपने पिता की संपत्ति पर बराबर का हक है। क्या वह भी संपत्ति को अपने बच्चों के नाम कर सकती है। आइए नीचे खबर में जानें पूरी डिटेल -
 | 
Property : पिता की संपत्ति पर बेटी के अधिकार को लेकर जान लें ये नियम

NEWS HINDI TV, DELHI : (Property Legal Aid) पिता की संपत्ति को लेकर विवाद के मामले आम हैं, कभी दो भाइयों के बीच तो कभी पिता और बेटे के बीच इसे लेकर झगड़ा होता है। इसी तरह से अब बेटियां भी संपत्ति (property news) पर अपने हक को लेकर जागरुक हो रही हैं। पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां पर लड़कियों ने अपने पिता से बराबरी का हक मांगा और संपत्ति पर अपना दावा पेश किया। इसी से जुड़ा एक सवाल कई लोगों के मन में उठता है कि अगर कोई अपने पिता की पूरी संपत्ति अपने बेटों के नाम कर देता है तो ऐसे में उसकी बहनें उस पर दावा कर सकती हैं या नहीं? 

 

 

कब दावा नहीं कर सकती हैं बेटियां -


ये बात तो साफ है कि कानून के तहत बेटियों का भी पिता की संपत्ति (father property) पर उतना ही अधिकार है, अगर पिता जिंदा रहते हुए अपनी संपत्ति को अपने पोतों के नाम ट्रांसफर कर देते हैं (property transfer) तो बेटियां इस पर दावा नहीं कर सकती हैं। 

वसीयत लिखने पर ये नियम -


वहीं अगर पिता की मौत के बाद संपत्ति का ट्रांसफर वसीयत (property transfer) के जरिए होता है तो उसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। यानी बेटियां अपने पिता की संपत्ति पर दावा कर सकती हैं। अगर पिता की मौत बिना वसीयत लिखे होती है तो ऐसे में उनकी बेटियों को बराबरी का अधिकार होता है। इस स्थिति में पत्नी भी वसीयत नहीं लिख सकती है, वो भी इस संपत्ति में बेटे-बेटियों के साथ बराबरी की हकदार हो सकती है। 


यानी वसीयत लिखे जाने पर किसी को संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है, अगर किसी शख्स ने खुद की कमाई गई संपत्ति को लेकर वसीयत लिखी है तो वो कानूनी तौर पर वैध मानी जाएगी, वहीं अगर वसीयत नहीं लिखी जाती है तो संपत्ति के मालिक की मौत के बाद उसकी पत्नी, बच्चे और मां बराबर की हिस्सेदार मानी जाएगी। किसी को वसीयत में बेदखल करने का कारण भी कोर्ट को देना जरूरी होता है।