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Success Story : पहले करता था LIC के एजेंट का काम, अब आता है देश के अरबपतियों मे नाम

Success Story in hindi : आपने कई सफलता की कहानी सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको LIC के एजेंट लक्ष्मण दास मित्तल की कहानी बताने जा रहे हैं, जो आज देश के सबसे अमीर व्यक्ति में शामिल है।
 
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Success Story : पहले करता था LIC के एजेंट का काम, अब आता है देश के अरबपतियों मे नाम 

NEWS HINDI TV, DELHI : ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी किश्मत के भरोसे छोड़ देते हैं।लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी किस्मत खुद गढ़ते हैं।उनके लिए मायने नहीं रखता कि मुश्किलें कितनी आएंगी या उनकी उम्र कितनी है।इनमें से ही हैं देश की तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी सोनालिका के मालिक लक्ष्मणदास मित्तल (Laxmandas Mittal) ।सोनालिका समूह के मालिक लक्ष्मण दास मित्तल एक साधारण से एलआईसी एजेंट (LIC Agent)  हुआ करते थे।उन्होंने एलआईसी एजेंट के रूप में लगभग पूरी नौकरी की।इसके बाद पाई-पाई जोड़कर की गई बचत से रिटायरमेंट की उम्र में एक कंपनी की नींव रखी।कंपनी खड़ी करने के बाद उन्होंने असफलता का भी स्वाद चखा।दिवालिया भी हुए।लेकिन हार नहीं मानी।

सोनालिका समूह के मालिक लक्ष्मण दास मित्तल इस वक्त 92 साल के हैं।उन्होंने इस कंपनी की नींव 60 साल की उम्र में रखी थी।वह इस वक्त भारत के दूसरे सबसे उम्रदराज अरबपति हैं।फोर्ब्स मैगजीन (forbes magazine) ने उन्हें अबपतियों की लिस्ट में शामिल किया है।लक्ष्मण दास मित्तल की नेटवर्थ की बात करें तो वह 2।5 अरब डॉलर के करीब है।

 एलआईसी एजेंट से अरबपति बनने तक का सफर

लक्ष्मण दास मित्तल का जन्म 1931 में पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। उनके पिता हुकुम चंद अग्रवाल अनाज मंडी में आढ़ती थे। लक्ष्मण दास मित्तल बचपन से ही पढ़ने-लिखने में काफी तेज थे। उन्होंने अंग्रेजी में गोल्ड मेडल भी हासिल किया था। पढ़ाई पूरी करके लक्ष्मण दास मित्तल ने साल 1955 में एलआईसी एजेंट के रूप में नौकरी शुरू की। वह नौकरी तो कर रहे थे लेकिन उनका मन हमेशा से कुछ बिजनेस करने का था। इसलिए एलआईसी एजेंट के रूप में मिलने वाली सैलरी से एक निश्चित रकम बचाते थे। वह बचपन से ही खेती-किसानी को करीब से देखते आ रहे थे, तो इसी फील्ड में धंधा जमाने की सोचा।

जब डूब गया बिजनेस

लक्ष्मण दास मित्तल ने सबसे पहले कृषि उपकरणों से जुड़े बिजनेस में पैसा लगाया। उन्होंने साल 1962 में थ्रेसर बनाने का काम शुरू किया। लेकिन भारी घाटा हुआ और कारोबार दिवालिया हो गया। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। कुछ साल बाद वह प्रमोट होकर एलआईसी एजेंट से डिप्टी जोनल मैनेजर बन गए। अब उन्होंने नौकरी के साथ एक बार फिर से कारोबार पर फोकस किया। साल 1979 में उन्होंने सोनालिका समूह की नींव रखी।


1994 में बनाना शुरू किया सोनालिका ट्रैक्टर

लक्ष्मण दास ने सोनालिका समूह की नींव 1969 में रख तो दी थी लेकिन ट्रैक्टर का निमार्ण 1994 में शुरू हुआ। जब कारोबार ने रफ्तार पकड़ी तो वह नौकरी से रिटायर हो चुके थे। सोनालिका समूह का नेटवर्थ इस वक्त करीब 23000 करोड़ रुपये है।


अभी भी हर दिन जाते हैं ऑफिस

सोनालिका समूह का कारोबार भारत के अलावा 74 देशों में फैल चुका है। कंपनी हर साल लगभग तीन लाख ट्रैक्टर बनाती है। लेकिन लक्ष्मण दास मित्तल 92 साल की उम्र में भी हर दिन ऑफिस जाते हैं। वह सोनालिका इंप्लीमेंट्स का काम संभालते हैं। यह कंपनी कृषि से जुड़े औजार बनाती है।