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Success Story : प्राइवेट स्कूल की फीस नहीं भर पाए पिता, आज बेटा 2300 करोड़ की कंपनी का है मालिक

Success Story : ये कहानी एक रेलवे में क्लर्क लगे पिता की है जो घर की आर्थिक तंगी के कारण अपने बेटे के प्राइवेट स्कूल की फीस नही भर पाता था फिर बेटे ने अपनी पढ़ई सरकारी स्कूल से पूरी की फिर बेटे ने ऐसा क्या किया जो आज 2300 करोड़ की कंपनी का है मालिक आइए जानते है नीचे खबर में.....

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Success Story : प्राइवेट स्कूल की फीस नहीं भर पाए पिता, आज बेटा 2300 करोड़ की कंपनी का है मालिक

NEWS HINDI TV, DELHI : आग में तप कर लोहा मजबूत बनता है. इसी मिसाल से किसी इंसान की कामयाबी समझी जा सकती है. जब इंसान मुश्किलों से गुजरकर आगे बढ़ता है तो उसमें किसी मुकाम पर पहुंचकर ज्यादा चमक होती है.

ऐसी ही कहानी कुंवर सचदेव की है. आर्थिक परेशानियां कुंवर की ज़िंदगी का अहम हिस्सा रहीं. आज वे इनवर्टर बनाने वाली कंपनी Su-Kam के मालिक हैं. जमीन से आसमां तक का ये सफर उन्होंने कैसे तय किया.

कुंवर सचदेव के पिता रेलवे में क्लर्क पद पर काम करते थे. वह दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में बढ़े हुए. प्राइमरी तक प्राइवेट स्कूल से पढ़े, लेकिन आगे की पढ़ाई भी वे प्राइवेट स्कूल से कर सकें,

घर की ऐसी क्षमता नहीं थी. फिर वे सरकारी स्कूल से पढ़े. वह डॉक्टर बनने की चाह रखते थे, लेकिन एंट्रेंस टेस्ट पास नहीं होने के चलते उस फील्ड में नहीं जा सके. लेकिन आज जहां हैं, वहां के सरताज हैं.

1984 में LAW Centre 1 Delhi University से LLB में ग्रेजुएशन की. अपने भाई के साथ पेन के बिजनेस में फुल टाइम काम करने लगे. इस दौरान उन्होंने घर-घर जाकर पेन बेचे.

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि वह इसी काम से अपनी पढ़ाई का खर्चा भी निकाला करते थे. उन्होंने केबल कम्युनिकेशन कंपनी में मार्केटिंग विभाग में नौकरी भी की. 

इनवर्टर कंपनी Su-Kam शुरू करने का आइडिया खुद अपने घर के बार बार खराब होते इनवर्टर से आया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके घर का इनवर्टर बार बार खराब होता था,

एक बार उन्होंने खुद ही उसे खोलकर चेक किया तो पता चला कि इसमें बार बार खराबी की वजह सामान की बेकार क्वालिटी है. तब उन्होंने इनवर्टर बनाने की ठानी. जिस कंपनी Su-Kam के आज वे मालिक हैं, उसकी शुरुआत 1988 में की. 

कुंवर सचदेव की 2300 करोड़ की कंपनी इनवर्टर और बहुत से सोलर प्रोडक्ट बनाती है. Su-Kam के सोलर प्रोडक्ट  की मांग विदेशों में भी भी है. आंकड़े बताते हैं कि देश में 1 लाख से ज्यादा घरों में उनके बनाए प्रोडक्ट लगाए जा चुके हैं.