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आखिर Cheque Bounce होने की क्या है वजह, जानिए कितना लगता हैं जुर्माना

Bank Cheque Bounce Rules : दरअसल, यह सच है कि आजकल डिजिटल पेमेंट का जमाना आ गया है लेकिन कुछ लोग आज भी चेक से भुगतान को अपने पैसे के लेन - देन का सुरक्षित और सरल साधन मानते हैं। और अधिकांश लोग बड़ी रकम का भुगतान करने के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं। और अगर आप भी भुगतान करने के लिए चेक का इस्तेमाल करते हैं। तो क्या आप जानते हैं कि चेक बाउंस हाने के क्या कारण होते हैं। और चेक बाउंस (Cheque Bounce) होने पर कितना जुर्माना लगता हैं। अगर नहीं जानते तो जानिए इससे जुड़ी पूरी जानकारी नीचें की खबर में....
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आखिर Cheque Bounce होने की क्या है वजह, जानिए कितना लगता हैं जुर्माना

NEWS HINDI TV, DELHI: ऑनलाइन पेमेंट कर चलन तो अब प्रचलित हुआ है लेकिन चेक के जरिए भुगतान (payment by check) करना पुराने समय से चला आ रहा है। जब तक लोगों को ऑन्लाइन भुगतान की प्रक्रिया समझ नही आती तब तक उन्हे चेक से भुगतान करना आसान लगता है। एक समय में भुगतान के लिए बैंक चेक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता था। लेकिन अब के डिजिटल के दौर में चेक से भुगतान कम हो ही गया है। 


इन सब के बावजूद भी इसकी अहमियत बरकरार है। लोग आज के समय में भी चेक का इस्तेमाल करते हैं। कई बार अलग-अलग वजहों से चेक बाउंस (Bank Cheque Bounce Rules) हो जाता है। इसका मतलब यह होता है कि अगर किसी ने चेक जारी किया और उससे पेमेंट नहीं हो सका। इसे चेक बाउंस कहा जाता है।


चेक बाउंस होने पर बैंक वसूलता है जुर्माना:

मान लासें किसी कारणवश किसी का चेक बाउंस हो जाता है, तो बैंक उससे जुर्माना (penalty on cheque bounce) वसूलता है। अलग-अलग बैंकों में चेक बाउंस पर लगने वाली पेनाल्टी अलग-अलग होती है। इसके अलावा कुछ विशेष परिस्थितियों में चेक जारी करने वाले पर मुकदमा भी हो सकता है। चेक बाउंस (cheque bounce) होने पर जुर्माना आमतौर पर 150 रुपये से लेकर 750 या 800 रुपये तक वसूला जाता है।

चेक बाउंस होना है अपराध:

जानकारी के लिए बता दें कि भारत में चेक बाउंस होना अपराध (check bounce is a crime) की कैटेगरी में आता है। चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के अनुसार, चेक बाउंस (cheque bounce) होने की स्थिति में इसे जारी करने वाले के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।


इन वजहों से बाउंस हो सकता है आपका चेक (reason of cheque bounce):-

  • अकाउंट में बैलेंस नहीं होना या कम होना
  • सिग्‍नेचर मैच नहीं होना
  • जाली चेक का संदेह
  • चेक की समय सीमा समाप्‍त होना
  • शब्‍द लिखने में गलती
  • अकाउंट नंबर में गलती
  • ओवर राइटिंग


इस तरीके से दर्ज करा सकते है अपनी शिकायत:

चेक बाउंस (cheque bounce) होने के बाद सबसे पहले बैंक लेनदार को एक रसीद देते हैं। इसमें चेक बाउंस (reason of cheque bounce) क्यों हुआ, इसके कारण के बारे में जानकारी दी जाती है। फिर लेनदार को चेक जारी करने वाले के पास 30 दिन के भीतर नोटिस भेजना होता है। अगर नोटिस का जवाब 15 दिनों के भीतर नहीं आते हैं, तो लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में 15 दिन गुजरने के बाद 30 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज करा सकता है।