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Dearness : रसोई में यूज होने वाली इन चीजों के दाम छूने लगे आसमान, लोग कर रहे है स्टॉक

Dearness : एक अपडेट के जरिए पता चला है कि बढ़ती महंगाई के बीच आम जनता को एक और झटका लगा है। आपको बता दें कि रसोई में इस्तेमाल होने वाली इन दो चीजों के दाम सातवें आसमान को छुने लगे है। ऐसा देखकर लोगों ने पहले ही स्टॉक करना शुरी कर दिया है आइए नीचे खबर में जानते है इनके बारे में.
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Dearness : रसोई में यूज होने वाली इन चीजों के दाम छूने लगे आसमान, लोग कर रहे है स्टॉक

NEWS HINDI TV, DELHI : साल 2023 कई मायनों में खास रहा है. शेयर मार्केट( Share Market ) से लेकर आम जरूरत की चीजों तक, हर तरफ उछाल देखा गया. शेयर मार्केट में जारी तेजी से निवेशक मालामाल हुए तो वहीं रसोईघर पर पड़ी महंगाई की मार( Effect of inflation ) ने जेब की हालत खराब कर दी. जुलाई 2023 से अब तक, स्पाइस इंफ्लेशन( spice inflation ) में तेजी देखी गई है.


इसमें 22 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है. यह मसालों के डिमांड और सप्लाई के संतुलन को दरकिनार कर रहा है. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में प्याज और टमाटर की तरह मसाले भी महंगाई का तड़का लगाते हुए नजर आ सकते हैं. चलिए एक बार आंकड़ों पर नजर डालते हैं.

ये है महंगाई का कारण-

जीरा, हल्दी, मिर्च, काली मिर्च और अन्य मसालों की कीमतें बढ़ रही हैं, क्योंकि कम फसल क्षेत्र और कीटों के संक्रमण ने उनके पैदावार को प्रभावित किया है. जुलाई से मसालों की महंगाई 22% से ऊपर बनी हुई है. अर्थशास्त्रियों ने कहा कि यह दिसंबर और मार्च के बीच खुदरा महंगाई में 0.6 प्रतिशत अंक और जोड़ सकता है, क्योंकि अगली फसल तक कीमतें कम होने की संभावना नहीं है.

महंगाई की कुल कैटेगरी में इसका भार केवल 2.5% है, लेकिन वे कई फूड प्रोडक्ट्स की कीमतों को प्रभावित करते हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि मसालों के लिए, वजन कम है, लेकिन ऊंची कीमतें अन्य फूड प्रोडक्ट्स जैसे सॉस, पैक किए गए फूड प्रोडक्ट, मसाला, जैम, कन्फेक्शनरी आदि की लागत को प्रभावित करते हैं.

कई गुना बढ़ गई कीमतें-

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीरा (जीरा), काली मिर्च और मिर्च का उत्पादन कम हुआ है. इसलिए, यह एक आपूर्ति मुद्दा है. हमें कीमतें कम होने से पहले अगली फसल आने का इंतजार करना होगा. काली मिर्च और धनिया जैसे गरम मसालों का रकबा काफी कम हो गया है.

खरीफ के दौरान कम उत्पादन मौसम पर भी असर पड़ा है. विशेषज्ञों ने कहा कि मार्च 2024 तक आने वाली नई रबी फसल पर ज्यादा असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि बढ़ती घरेलू और निर्यात मांग मार्च 2024 से आगे महंगाई को बनाए रख सकती है.


जीरा में पिछले वर्ष की तुलना में नवंबर में इसकी कीमतें 122.6% बढ़ीं है. खरीफ सीजन के दौरान हल्दी की बुआई 15-18% कम हो गई है, जिससे कीमतें इस बार 12,600 रुपए प्रति क्विंटल हो गईं है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 7,000 रुपए प्रति क्विंटल है. हल्दी और सूखी मिर्च दोनों में नवंबर में 10.6% महंगाई दर्ज की गई है.