आप भी करते हैं ये 5 बड़ी खरीदारी तो हो जाएं सावधान, घर आएगा Income Tax का नोटिस
News Hindi TV, Delhi : Income Tax Notice - किसी बड़ी रकम में की गई खरीदारी आपको खतरे में डाल सकती है। ऐसी खरीदारी करें लेकिन जब बात इनकम टैक्स रिटर्न ITR( Income Tax Return ) की हो तो उसमें इसका जरूर जिक्र करें। कई लोग या तो भूल जाते हैं, या बताने से बचते हैं।
इसका नतीजा होता है कि उन्हें इनकम टैक्स से नोटिस मिल जाता है। नोटिस मिलने के बाद उसका जवाब देना भारी पड़ जाएगा। इन 5 बड़ी खरीदारी में क्रेडिट कार्ड( Credit card ) से शॉपिंग, म्यूचुअल फंड( Mutual Fund ) में निवेश, बॉन्ड या डिबेंचर( debenture ) में पैसा लगाना और प्रॉपर्टी( Property )की खरीद-बिक्री शामिल है।
अगर ऐसी खरीदारी करते हैं तो आपको इनकम टैक्स रिटर्न( ITR ) में इसकी जानकारी देनी चाहिए। अगर किसी तरह की टैक्स देनदारी बनती है, उसे चुकाना चाहिए। इसमें आप नाकाम होते हैं तो आयकर विभाग( Income tax department ) की तरफ से नोटिस आ सकता है। आइए जानते हैं कि हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन( high value transaction ) क्या हैं जिसकी जानकारी देना जरूरी है और नहीं दिया तो क्या कार्रवाई हो सकती है।
1-10 लाख रूपये से ज्यादा नकदी जमा करना-
बैंक में एक साल के अंदर अगर 10 लाख रुपये कैश डिपॉजिट किए हैं तो इसकी जानकारी देना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो टैक्स विभाग की ओर से नोटिस के लिए तैयार रहें। बैंकों( Bank ) की तरफ से टैक्स विभाग को जानकारी मिलती रहती है कि आप किस तरह का ट्रांजेक्शन या खरीदारी कर रहे हैं। इसलिए यह नहीं मान सकते कि आयकर विभाग को आपके जमा पूंजी की जानकारी नहीं होगी।
2-क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग करना-
क्रेडिट कार्ड से अगर 2 लाख रुपये या उससे ज्यादा की खरीदारी करते हैं तो इसकी जानकारी ITR में देनी होगी। ऐसा नहीं करने पर इनकम टैक्स की तरफ से नोटिस मिल सकता है। क्रेडिट कार्ड( Credit card ) जिस बैंक से जुड़ा होगा, उस बैंक के खाते से आपका PAN भी अटैच होगा। ऐसे में आयकर विभाग को ऐसी खरीदारी का पता चल जाएगा। ऐसी खरीदारी कर टैक्स से बचने के बारे में सोचना गलत है। रिटर्न फाइल करने चलें तो ऐसी खरीदारी को जरूर ध्यान में रखें।
3-म्यूचुअल फंड में निवेश-
हाई रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छी बात है। यह भी अच्छी बात है कि 2 लाख या उससे ऊपर तक निवेश किया जाए। लेकिन यह अच्छी बात नहीं कि उसकी जानकारी टैक्स डिपार्टमेंट को न दी जाए। ऐसा भी नहीं सोच सकते कि टैक्स विभाग को इस निवेश( Investment ) की जानकारी नहीं होगी। लेकिन विभाग यह उम्मीद करता है टैक्सपेयर इन बातों को रिटर्न में जरूर बताएं। अगर आपने 2 लाख या उससे ज्यादा का निवेश किया है तो आईटीआर में जरूर बताएं।
4-बॉन्ड या डिबेंचर की खरीदारी-
जैसा नियम 2 लाख या उससे ज्यादा के म्यूचुअल फंड( Mutual Funds ) की खरीदारी पर है, वैसा ही नियम बॉन्ड और डिबेंचर की खरीदारी पर है। फर्क सिर्फ खरीदारी के अमाउंट का होता है। बॉन्ड और डिबेंचर में यह राशि 5 लाख की रखी गई है। कोई व्यक्ति एक साल में अगर 5 लाख का बॉन्ड या डिबेंचर खरीदता है तो उसे टैक्स विभाग को जानकारी देनी होगी।
5-30 लाख रूपये की संपत्ति की खरीदारी-
30 लाख रुपये से ज्यादा की कोई प्रॉपर्टी( Property ) खरीदेते या बेचते हैं तो उस पर वेल्थ टैक्स देना होगा। 30 लाख रुपये से जितनी ज्यादा राशि होगी, उस पर 1 परसेंट के हिसाब से वेल्थ टैक्स चुकाना होगा। टैक्स विभाग को अगर इसकी जानकारी नहीं देते हैं या इस प्रॉपर्टी पर वेल्थ टैक्स नहीं चुकाते हैं तो आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। इस संपत्ति में जमीन, पुराने मकान की खरीदारी, कार, यॉट, गोल्ड जूलरी, एंटिक या आर्ट-पेंटिंग शामिल है।
नोटिस मिलने पर क्या करना चाहिए-
नोटिस मिलने पर परेशान न हों बल्कि उसकी वजह पर गौर करें। एसेसिंग अफसर तक ऑनलाइन अपनी बात रखें। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के 6 महीने के अंदर स्क्रूटनी नोटिस भेजा जाता है। कभी-कभार पुराने मामले में भी नोटिस आता है। जो नोटिस मिला है उसकी कई कॉपी बना लें। उसमें जिन कागजातों की मांग की गई है उसे जमा करा दें और उसके साथ एक कवरिंग लेटर भी दे दें। एसेसिंग अफसर से इसके लिए एकनॉलजमेंट लेटर मांग लें ताकि आगे आपको अपनी बात रखने में सुविधा हो।