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अगर आपने भी बैंक में कराई है FD, तो जाने कब कितना और कैसे काटता है TDS

Tax on Fixed Deposit Interest Income - सुरक्षित निवेश के लिहाज से फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) सबसे बेहतर विकल्प माना जाता. हालांकि बाजार में निवेश के कई ऑप्शन मौजूद हैं. लेकिन बचत करने के लिए यह तरीका हर उम्र के लोगों को पसंद आता है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि दूसरी स्कीम्स के मुकाबले यह सुरक्षित और सबसे कम जोखिम वाला होता है. लेकिन अधिकतर लोगों को एफडी (FD) से जुड़े नियमों और कितना टैक्स और TDS कटता है इसके बारे में जानकारी कम होती है। जिसके कारण लोग मुसीबत में फंस जाते हैं। आइए नीचे खबर में जानते हैं- पूरी जानकारी- 
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अगर आपने भी बैंक में कराई है FD, तो जाने कब कितना और कैसे काटता है TDS

NEWS HINDI TV, DELHI: निवेश के लिए बेहद पॉपुलर विकल्‍प टैक्‍स सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट (Tax Saving Fix Deposit) के जरिए आप अपनी टैक्‍सेबल इनकम से 1.5 लाख रुपये तक की कटौती के लिए इनकम टैक्‍स एक्‍ट के सेक्‍शन 80सी का लाभ उठा सकते हैं। इस विकल्‍प में जहां आपकी गाढ़ी कमाई सुरक्षित रहती है,

वहीं इस पर तय ब्‍याज के हिसाब से रिटर्न मिलता है। हालांकि, एक ओर आप 1.50 रुपये तक की जमा राशि पर टैक्‍स का लाभ लेते हैं, वहीं दूसरी ओर  यह ध्‍यान नहीं देते कि इस पर मिलने वाले ब्‍याज टैक्‍स फ्री नहीं होता है। आपको जानना चाहिए कि आप अपनी एफडी पर किस तरह से टैक्‍स (Tax on Fixed Deposit) देते हैं।  

 

 

 

 

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FD पर कैसे लगता है टैक्‍स


फिक्‍स्‍ड इनकम (fixed income) से मिलने वाला इंटरेस्‍ट इनकम पूरी तरह से टैक्‍सेबल होता है। एफडी से मिलने वाले सालाना ब्‍याज को आपकी कुल इनकम में जोड़ दिया जाता है और फिर टैक्‍स स्‍लैब्‍ के हिसाब से ब्‍याज देना होता है। इसे आपके इनकम टैक्‍स रिटर्न में 'अन्य सोर्स से इनकम' यानी टीडीएस (TDS) के तहत रिपोर्ट किया जाता है। 


अगर सीनियर सिटीजंस (senior citizens) के अलावा अन्य निवेशकों के लिए एफडी से ब्याज आय 40,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक आपके खाते में ब्याज जमा करते समय टीडीएस काट लेते हैं। वरिष्ठ नागरिक के मामले में यह लिमिट 50,000 रुपये है। ध्‍यान रहे कि TDS ब्याज जमा करते समय काटा जाता है, न कि एफडी मैच्‍योर होने पर। यानी 5 साल की ऊडी है तो 5 बार टीडीएस- TDS कटौती होगी। 

 

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क्‍या होता है (TDS) टीडीएस- 


सोर्स पर टैक्‍स कटौती यानी टीडीएस (TDS) की बात की जाए तो यह टैक्‍स की चोरी रोकने के लिए अप्‍लाई होता है। TDS में किसी व्यक्ति या संगठन को वेतन, ब्याज, किराया, प्रोफेशनल फीस देते समय भुगतान के पूर्व निर्धारित टैक्‍स पर्सेंटेज में कटौती करने को बाध्य किया जाता है। कटौती की राशि सरकार को तुरंत भेज दी जाती है। टीडीएस (TDS) से टैक्‍स कलेक्‍शन सिस्‍टम आसान होता है और संभावित टैक्‍स चोरी रुकती है। 

आईटीआर (ITR) में ब्याज आय की रिपोर्ट करते समय, आपको अपने आईटीआर में अर्जित संपूर्ण ब्याज की रिपोर्ट करनी होगी और बकाया देनदारी से TDS रिफंड या टैक्स क्रेडिट के रूप में बैंक द्वारा काटे गए TDS का क्‍लेम करना होगा।


कितना कटता है TDS 


इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के सेक्शन 194A के अनुसार, एफडी के ब्याज पर TDS काटा जाता है। वित्त वर्ष में एफडी इंटरेस्ट इनकम 40,000 रु. (senior citizens के लिए 50,000 रु.) से अधिक होने पर 10 फीसदी की दर से TDS काटा जाता है। लेकिन, अगर पैन की डिटेल नहीं दी गई है तो इंटरेस्ट इनकम से 20 फीसदी की दर से TDS काटा जाता है।

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अगर इनकम टैक्सेबल नहीं है

जिन डिपॉजिटर्स की इनकम टैक्सेबल नहीं है, वे फॉर्म 15G और फॉर्म 15H (60 और उससे अधिक की उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए) में एक डिक्लरेशन प्रदान कर सकते हैं। ऐसा करने से बैंक FD ब्याज पर TDS की कटौती नहीं कर पाएंगे और इस तरह डिपॉजिटर को अधिक प्रभावी कैश फ्लो मैनेजमेंट में मदद मिलेगी।


टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय एफडी इंटरेस्ट इनकम (FD interest income) को डिपॉजिटर की एनुअल इनकम में जोड़ा जाता है। ऐसे डिपॉजिटर जिन्होंने फॉर्म 15G या 15H दाखिल किया है, लेकिन उनकी आय टैक्सेबल है, उन्हें आईटीआर (ITR) दाखिल करते समय अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होगा।