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Income Tax विभाग कितने साल पुराने मामलो में नहीं दे सकता नोटिस, हाईकोर्ट ने बताया

Income Tax Notice : आपको बता दें कि हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट  (Delhi High Court) की ओर से एक बड़ा फैसला हैं। और हाई कोर्ट अपने इस फैसले में कहा हैं कि कितने साल पुराने मामलो में इनकम टैक्स विभाग (Income tax department) नोटिस नहीं दे सकता हैं। दिल्ली हाई कोर्ट  (Delhi High Court) की ओर से आए इस फैसले से जुड़ी पूरी जानकारी जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े।
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Income Tax विभाग कितने साल पुराने मामलो में नहीं दे सकता नोटिस, हाईकोर्ट ने बताया

NEWS HINDI TV, DELHI: Delhi High Court : दिल्ली हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि आयकर विभाग (Income tax department) 3 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद आयकर से जुड़े किसी भी मामले को दोबारा नहीं खोल सकता है.

केवल उन्हीं मामलों में 3 साल के बाद भी री असेसमेंट ऑर्डर जारी किया जा सकता है जिनमें कथित छुपाई गई इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा हो. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income tax department) के पास 50 लाख रुपये से ज्यादा आय छुपाने और सीरीयड फ्रॉड मामलों में 10 साल तक का वक्त होता है जिसमें वो रीअसेसमेंट ऑर्डर (reassessment order) निकाल सकता है.

10 वर्ष से अधिक पुराने कर पुनर्मूल्यांकन आदेश (reassessment order) कब निकल सकते हैं-

लाइव लॉ के मुताबिक ये खबर मिली है कि आयकर आकलन को फिर से खोलने के लिए एक्सटेंडेड 10 साल का टाइम पीरियड सिर्फ तभी लागू होना चाहिए जब टैक्स चोरी की मंशा से 50 लाख रुपये से ज्यादा की रकम की इनकम को छुपाया गया हो.

आईटी ऐसेसमेंट के लिए सामान्य टाइमलाइन 3 साल- दिल्ली हाई कोर्ट-

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में एक अहम मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस गिरीश कथपालिया की बेंच ने कहा कि ऐसेसमेंट ईयर के खत्म होने के तीन साल के बाद 'सामान्य मामलों में' नोटिस जारी करने का कोई इरादा नहीं था.

अदालत ने कहा कि सिर्फ कुछ खास मामलों में ही रीअसेसमेंट नोटिस (reassessment notice) 3 साल के बाद भी जारी किया जा सकता है. ये मामले वो हैं जिनमें या तो छुपाई गई इनकम की रकम 50 लाख रुपये से ज्यादा निकलती हो अथवा आयकर चोरी या फ्रॉड का मामला काफी गंभीर हो.

आयकर अधिनियम की धारा 148 पर कोर्ट ने की ये टिप्पणी-

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत (Under Section 148 of the Income Tax Act) पेटिशनर को जारी किए गए नोटिस की वैधता तय करनी थी. इसी सिलसिले में कोर्ट ने ये अहम टिप्पणी की. चूंकि धारा 148 की पुरानी व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स ऑफिसर 6 साल तक के पुराने मामलों को खोल सकता है. वहीं 10 साल पुराने मामलों को भी खोला जा सकता है लेकिन इसके लिए टैक्सपेयर की सालाना इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा होनी चाहिए.