Income Tax विभाग इन 5 तरीकों से रखता है आपकी कमाई पर नजर, गड़बड़ी मिलते ही भेजता है नोटिस
Income Tax : आजकल ज्यादातर लोग पेमेंट डिजिटल माध्यम से करना पसंद करते हैं लेकिन फिर भी कुछ लोग कैश से पेमेंट करते हैं ताकि वे इनकम टैक्स से बच सकें। ये आपको लगता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। आयकर विभाग आपकी हर इनकम और खर्चे पर नजर रखता है। अगर कहीं भी गड़बड़ी मिलती है तो इनकम टैक्स विभाग नोटिस( Income Tax Notice ) भेज देता है। आज हम आपको इस खबर में बताने वाले हैं 5 ऐसे तरीके जिनके द्वारा आयकर विभाग आपकी इनकम पर नजर रखता है। आईए नीचे खबर में जानते हैं इनके बारे में.
NEWS HINDI TV, DELHI: इनकम टैक्स रिटर्न ( Income Tax Return ) फाइल करते वक्त आपको हर स्रोत से हुई इनकम के बारे में बताना बहुत जरूरी है। कई लोग कुछ जानकारियां छुपा लेते हैं। अब ऐसा करने वाले टैक्सपेयर्स का बचना नामुमकिन है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ( Income Tax Department ) ने अपना सिस्टम फुलप्रूफ बना दिया है। हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शंस ( High Value Transactions ) के साथ पैन ( PAN ) बताना जरूरी है।
आपका सेविंग्स अकाउंट( Saving Account ) जिस बैंक में है, आपका इंश्योरेंस प्लान जिस कंपनी का है, आपने जिस एएमसी कंपनी से म्यूचुअल फंड खरीदा है और जिस बैंक का क्रेडिट कार्ड( Credit card ) लिया है, वे सभी आपके हर ट्रांजेक्शन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस डेटा को आपके ITR में दी गई जानकारियों के साथ मैच कराता है। IT Department प्रोजेक्ट इनसाइट के जरिए भी टैक्स चोरी( Tax evasion ) करने वाले लोगों पर खास नजर रखता है।
क्या है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का Project Insight?
प्रोजेक्ट इनसाइट के तहत इनकम टैक्स के अधिकारी टैक्स चोरी का संदेह होने पर टैक्सपेयर के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नजर रखते हैं। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति 10 लाख रुपये से ज्यादा कीमत की कार खरीदता है तो उसे 1 फीसदी लग्जरी चार्ज चुकाना होता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट( Income Tax Department ) किसी तरह का संदेह होने पर ऐसे व्यक्ति के इनकम टैक्स रिटर्न की जांच कर सकता है। इसका मकसद यह पता लगाना होगा कि व्यक्ति की इनकम के सोर्स क्या हैं।
इनकम टैक्स अधिकारी के पास हैं कई अधिकार-
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारी के पास किसी टैक्सपेयर्स की इनकम के बारे में बैंक से जानकारी मांगने का भी अधिकार होता है। वह इन आकड़ों को टैक्सपेयर के आईटीआर( ITR ) से मैच कराता है। गड़बड़ी पाए जाने पर वह टैक्सपेयर्स को नोटिस जारी कर स्थिति स्पष्ट करने को कहता है। इसलिए कोई व्यक्ति यह समझता है कि वह कुछ जानकारियां इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से छुपा सकता है तो यह मुमकिन नहीं है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल टैक्सपेयर्स पर नजर रखने के लिए करता है-
1. अगर आप एक फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रुपये से ज्यादा मूल्य का डिपॉजिट करते हैं, बैंक ड्राफ्ट बनवाते हैं या बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं तो बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेजता है।
2. अगर आप 30 लाख रुपये से ज्यादा मूल्य की प्रॉपर्टी खरीदते या बेचते हैं तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार के लिए इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देना जरूरी है।
3. अगर 50 लाख रुपये से ज्यादा कीमत की प्रॉपर्टी खरीदी जाती है तो उस पर 1 फीसदी TCS कलेक्ट करना जरूरी है। खरीदार के लिए इस पैसे को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास जमा करना जरूरी है।
4. अगर आप किसी एक फाइनेंशियल ईयर में एक लाख रुपये तक का कैश पेमेंट करते हैं या दूसरे तरीकों से 10 लाख रुपये तक खर्च करते हैं तो क्रेडिट कार्ड जारी करने वाला बैंक इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देता है।
5. अगर एक फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रुपये तक म्यूचुअल फंड्स, शेयर या डिबेंचर्स आप खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन से जुड़ी कंपनियों के लिए इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देना जरूरी है।