Income Tax : बैंक के सेविंग अकाउंट में कभी न रखें इससे ज्यादा पैसा, वरना देना होगा टैक्स
NEWS HINDI TV, DELHI: आज देश में हर आदमी का बैंक अकाउंट (Bank Account) है. बैंक अकाउंट कई तरह के होते हैं. उनमें से एक सेविंग अकाउंट है. यह वह अकाउंट है जो सबसे ज्यादा खोला जाता है. सेविंग अकाउंट में आमतौर पर लोग अपनी बचत का पैसा रखते हैं. आप जितने चाहें, उतने सेविंग अकाउंट खुलवा सकते हैं. यही नहीं सेविंग अकाउंट में पैसे जमा कराने की भी कोई लिमिट (Saving Account Limit) नहीं है. यानी, आप सेविंग अकाउंट में चाहे जितना पैसा जमा कर सकते हैं. बचत खाते में पैसा जमा कराने पर आयकर कानून या बैंकिंग रेगुलेशन्स में कोई सीमा निर्धारित नहीं है.
हां, इतना जरूर है कि अगर आप अपने सेविंग अकाउंट (Saving Account) में 10 लाख रुपये से ज्यादा का कैश एक वित्त वर्ष में जमा कराते हो तो इसकी जानकारी बैंक आयकर को विभाग को जरूर देगा. आयकर अधिनियम 1961 की धारा 285बी ए के अनुसार, बैंकों के लिए यह जानकारी देना अनिवार्य किया गया है. सेविंग अकाउंट (Saving Account) में रखे कैश का आपकी आईटीआर में दी गई जानकारी से मेल नहीं खाने पर आयकर विभाग (Income tax department) आपको नोटिस जारी कर सकता है.
ब्याज पर देना होता है टैक्स-
आईटीआर फाइल करते वक्त आयकरदाता को अपने सेविंग अकाउंट में जमा पैसे की जानकारी भी देनी चाहिए. आपके सेविंग अकाउंट (Saving Account) के डिपॉजिट से जो ब्याज मिलता है वह आपकी इनकम में जोड़ा जाता है और ब्याज पर इनकम टैक्स (Income Tax) लिया जाता है. बैंक 10 फीसदी टीडीएस ब्याज पर काटता है. सेविंग अकाउंट से मिले ब्याज पर भी टैक्स कटौती का लाभ लिया जा सकता है. आयकर अधिनियम की धारा 80 टीटीए के अनुसार सभी व्यक्ति 10 हजार तक की टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं.
सेविंग अकाउंट (Saving Account) में रखे पैसे से ब्याज 10 हजार रुपये से कम बना होगा तो टैक्स नहीं चुकाना होगा. 60 साल से ज्यादा उम्र के अकाउंट होल्डर को 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स नहीं देना होता है. अगर किसी व्यक्ति की सालाना आमदनी सेविंग अकाउंट से मिले ब्याज को मिलाने के बाद भी इतनी नहीं होती कि उस पर टैक्स देनदारी बन सके तो फिर वह फॉर्म 15 G जमा करके बैंक द्वारा काटे गए टीडीएस का रिफंड प्राप्त कर सकता है.