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Income Tax Saving : इन्वेस्टमेंट करते वक्त भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां वरना होगा भारी नुकसान

Tax Saving Investment : वित्त वर्ष 2023-24 जल्द खत्म होने वाला है और ऐसे में हर कोई टैक्स में बचत करने के लिए यहां-वहां हाथ पैर मार रहा है। इस साल टैक्स में बचत करने के लिए बस कुछ ही दिन बचे हैं निवेश करने से पहले आपको कुछ खास होम वर्क जरूर कर लेना चाहिए, ऐसे में, जिसे टैक्स में बचत करनी है, उस व्यक्ति के लिए काफी काम समय बचा है। टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट करने का प्लान बना रहे हैं तो कुछ गलतियों से जरूर बचना चाहिए।
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Income Tax Saving : इन्वेस्टमेंट करते वक्त भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां वरना होगा भारी नुकसान

NEWS HINDI TV, DELHI: अगर आपको भी इस साल बचत करनी है तो 31 मार्च से पहले हर हाल में इन्वेस्टमेंट कर लें क्‍योंकि 1 अप्रैल 2024 से नया वित्त वर्ष 2024-25 शुरू होने जा रहा है।टैक्स को अक्सर वित्तीय बोझ (Financial Burden) के रूप में देखा जाता है, टैक्स प्लानिंग के संबंध में समझ की कमी इसे और ज्यादा तनावपूर्ण बना सकती है। वित्तीय योजनाओं में टैक्स-सेविंग स्ट्रेटेजीज को शामिल करते टाइम यह प्रोसेस को और भी मुश्किल बना देता है। वित्तीय वर्ष जल्द खत्म होने वाला है, अब अपनी टैक्स प्लानिंग शुरू करने का सही टाइम है। 31 मार्च से पहले टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट (tax-saving investment) के संबंध में सोच-समझकर निर्णय लेना भी जरूरी है।

 

 

 

 

 

 

टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट करते टाइम इन गलतियों से बचें

1. ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) के तहत, कोई व्यक्ति धारा 80सी के तहत कम-से-कम 1.5 लाख रुपये की कटौती और धारा 80सीसीडी(1बी) के तहत एनपीएस योगदान के लिए 50,000 रुपये की एक्स्ट्रा कटौती का दावा कर सकता है। मेडिकल इंश्योरेंस और एजुकेशन और होम लोन पर भुगतान किए गए प्रीमियम/ब्याज जैसे बाकी खर्चों के लिए भी कटौती (Deduction) होती है। हालांकि, हर किसी को पूरी कटौती के बारे में जानकारी नहीं होती है और वो जितना करना चाहिए उससे कम इन्वेस्ट करते हैं।

2. जरूरत से ज्यादा अमाउंट इन्वेस्ट करने से भी बचना चाहिए। उदाहरण से समझें तो अगर कोई व्यक्ति सेल्फ-ऑक्यूपाइड घर का होम लोन चुका रहा है, तो ब्याज धारा 24 के तहत कटौती योग्य रहता है लेकिन ईएमआई का मूल भाग धारा 80 सी के तहत कटौती योग्य होता है।
3. इन्वेस्ट करते टाइम सही प्लानिंग करना भी जरूरी है। किसी को भी वित्तीय उत्पादों में निवेश करने से पहले उनकी उपयोगिता का ध्यान से आकलन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आपके इन्वेस्टमेंट पूल को इक्विटी एक्सपोजर की जरूरत है तो आपको ईएलएसएस फंड में निवेश करना चाहिए, अगर आपको जीवन कवर की आवश्यकता है तो इंश्योरेंस पॉलिसी में निवेश करना चाहिए, अगर आप रिटायरमेंट प्लान्स चाहते हैं तो एनपीएस में योगदान करना चाहिए और अगर आपको लॉन्ग टर्म के लिए स्टेबिलिटी की आवश्यकता है तो पीपीएफ में कंट्रीब्यूटर करना चाहिए।

4. किसी पॉलिसी को फाइनेंसियल प्लान में शामिल करने से पहले उसे समझना और उसका आकलन करना काफी जरूरी है। उदाहरण के लिए, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसके लिए लॉन्ग-टर्म कमिटमेंट की जरूरत होती है लेकिन पॉलिसी को टाइम से पहले बंद करने से बड़े नुकसान हो सकते हैं।


5. जोखिम भरी संपत्तियों में बड़ी रकम लगाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे मार्केट में उतार-चढ़ाव के कारण नुकसान हो सकता है। ELSS फंडों में योगदान देने वाले इक्विटी मार्केट में उछाल को देखते हुए, एक बार में बहुत सारा पैसा इन्वेस्ट नहीं करने का सुझाव दिया गया है। इसकी बजाय, कोई पार्शियल अमाउंट ईएलएसएस में डाल सकता है और बाकी को पीपीएफ, एनएससी या टैक्स-सेविंग एफडी जैसे और ऑप्शन में डाल सकता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सिर्फ सूचना के लिए है। इसे निवेश की सलाह न माना जाए। किसी भी निवेश से पहले निवेश सलाहकारों से राय लें।