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Property dispute : ऐसे लिखी जाती है वसीयत, कोर्ट जाकर ये काम करवाना नहीं है जरूरी

अगर किसी शख्स ने अपनी मौत से पहले वसीहत लिख रखी है तो उसकी सारी संपत्ति उसकी इच्छा के अनुसार ही बंटेंगी, लेकिन अगर उस शख्स की मौत बिना वसीहत लिखे हो जाए तो सभी जीवित रिश्तेदारों में property को ले कर बहस और उनके सामने विकट समस्या खड़ी हो सकती है।

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Property dispute :  ऐसे लिखी जाती है वसीयत, कोर्ट जाकर ये काम करवाना नहीं है जरूरी 

News Hindi TV (नई दिल्ली)। वसीयत या विल (Will) एक कानूनी दस्तावेज है जो बताता है कि कोई अपनी मौत के बाद अपनी संपत्ति को कैसे और किनमें बांटना चाहता है। वह वसीयत के जरिए किसी एक ही व्यक्ति को संपत्ति का अधिकार दे सकता है या फिर एक से अधिक लोगों को। अगर कोई शख्स चाहता है कि उसकी मौत के बाद उसकी संपत्ति कुछ चुनिंदा लोगों को ही मिले तो इसके लिए वसीयत जरूरी है। बिना वसीयत किए मौत की स्थिति में संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानूनों के तहत होगा।


यह उत्तराधिकारियों के बीच तनाव, अदावत, मुकदमेबाजी समेत तमाम जटिलताओं से भरा हो सकता है। वसीयत के तहत किस तरह की संपत्ति का उत्तराधिकार किसी को सौंपा जा सकता है, क्या परिवार से बाहर के किसी शख्स के नाम वसीयत की जा सकती है, बिना वसीयत किए मौत की स्थिति में संपत्ति पर किसका हक होगा वगैरह। इसके अलावा वसीयत से जुड़े मामलों में कुछ बड़े अदालती फैसलों पर भी नजर डालते हैं।

वसीयत क्या है?


सबसे पहले जानते हैं कि वसीयत क्या है। वसीयत किसी शख्स को मौत के बाद अपनी विरासत सही हाथों में छोड़कर जाने की सहूलियत देता है। वसीयत एक कानूनी दस्तावेज (legal document) है जो बताता है कि किसी शख्स की मौत के बाद उसकी संपत्ति कैसे और किनमें बांटी जाए और अगर कोई नाबालिग बच्चा है तो उसकी देखभाल कैसे होगा। वैसे जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति मौत से पहले अपनी वसीयत लिखी ही हो। अगर किसी ने अपनी वसीयत लिखी है तो उसकी संपत्ति का बंटवारा उसकी इच्छा के हिसाब से ही होगा। लेकिन अगर उसने वसीयत नहीं की हो तो संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानूनों के तहत होगा। 

वसीयत कैसे लिखी जाती है?


कोई भी स्वस्थ दिमाग का वयस्क वसीयत लिख सकता है। इसके लिए कानूनी और तकनीकी भाषा की जरूरत नहीं है।  वसीयत लिखने से पहले व्यक्ति को अपनी संपत्तियों जैसे जमीन, अचल संपत्ति (Immovable property), बैंक जमा, शेयर, जीवन बीमा, सोना या अन्य निवेश वगैरह की लिस्ट बना लेनी चाहिए। उसके बाद उसे लाभार्थियों को तय करना चाहिए कि वह अपनी संपत्ति किसे या किन-किन लोगों को देना चाहता है। इसके बाद दो ऐसे गवाहों को चुनना चाहिए जो वसीयत में लाभार्थी न हों। इसके बाद निष्पादक नियुक्त करें। वसीयत का मसौदा तैयार करने के लिए किसी वकील की सेवाएं भी ले सकते हैं। वसीयतनामे पर वसीयतकर्ता का और दो गवाहों के हस्ताक्षर होंगे। दस्तखत के वक्त दोनों गवाहों का शारीरिक रूप से एक साथ उपस्थित होना जरूरी है। जरूरत पड़ने पर गवाहों को अदालत में गवाही के लिए बुलाया जा सकता है। भारत में वसीयत का रजिस्टर्ड कराना जरूरी नहीं है लेकिन इसका रजिस्ट्रेशन बेहतर होगा।


कौन लिख सकता है वसीयत, क्यों लिखना ठीक है


अब समझते हैं कि वसीयत कौन लिख सकता है। कोई भी व्यक्ति जो बालिग हो, स्वस्थ दिमाग का हो तो वह अपना वसीयत लिख सकता है। बहरा और गूंगा शख्स भी लिखित में या साइन लैंग्वेज के हाव-भाव के जरिए अपनी सहमति दिखाकर वसीयत लिख सकता है। वसीयत को लेकर भारतीयों में उतनी जागरूकता नहीं है जितनी होनी चाहिए। अगर किसी शख्स ने वसीयत लिखी है तो उसकी संपत्ति उसकी इच्छानुसार ही बंटेंगी लेकिन अगर बिना वसीयत लिखे ही शख्स की मौत हो जाए तो जीवित रिश्तेदारों के सामने विकट समस्या खड़ी हो सकती है। उन्हें गैरजरूरी चिंता और तनाव, कानूनी झमेले, मुकदमेबाजी, कानूनी दांव-पेच वगैरह से जूझना पड़ सकता है। इन सबमें समय भी लगेगा और पैसे भी खर्च होंगे। इसलिए अच्छी तरह लिखी गई वसीयत वारिसों के बीच किसी भी तरह के टकराव की आशंका को खत्म करती है। बैंक जमाओं को लेकर बहुत से लोगों में ये भ्रम भी होता है कि उन्होंने नॉमिनी का नाम तो डाला ही है। जबकि नॉमिनी का मतलब उत्तराधिकारी नहीं होता। नॉमिनी किसी संपत्ति का अंतिम लाभार्थी नहीं होता वह सिर्फ संपत्ति का ट्रस्टी (estate trustee) या केयरटेकर होता है। यानी व्यक्ति की मौत के बाद नॉमिनी उसकी बैंक जमाओं या निवेश का मालिक नहीं बल्कि केयरटेकर होता है। इसलिए भी वसीयत लिखना समझदारी की बात है।

किस तरह की संपत्ति के लिए लिख सकते हैं वसीयत


अब सवाल उठता है कि कोई शख्स किस तरह की संपत्ति का वसीयत लिख सकता है। इसका जवाब है- सारी संपत्ति जिस पर उसका मालिकाना हक है। यानी वह सिर्फ अपनी संपत्ति को ही वसीयत के जरिए हस्तांतरित कर सकता है। स्वअर्जित संपत्तियों के लिए वसीयत लिखी जा सकती है। अगर वसीयतकर्ता ने अपनी कमाई से कोई संपत्ति खरीदी है या उसे कोई संपत्ति उपहार में मिली हो या किसी वसीयत के जरिए मिली हो तो वह इन संपत्तियों के लिए वसीयत लिख सकता है। कोई शख्स पैतृक संपत्ति के बंटवारे के बाद मिली अपने हिस्से की संपत्ति के लिए भी वसीयत लिख सकता है। लेकिन अगर किसी संपत्ति पर वसीयतकर्ता का अधिकार नहीं है और उसने वसीयत में उसका भी जिक्र किया है तो ऐसी संपत्ति पर वसीयत अमान्य होगी। इसी तरह अगर किसी शख्स ने वसीयत के जरिए जिस व्यक्ति को अपनी संपत्ति देना चाहता है, उसी की मौत हो जाए तो वसीयत अमान्य हो जाती है। इसलिए वसीयत में कोशिश करनी चाहिए कि संपत्ति के उत्तराधिकारी में एक से ज्यादा का नाम दें।