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Loan नहीं चुकाने वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, कर्जदार जान लें अपने ये 5 अधिकार

RBI news : हाल ही में बैंक से लोन लेने वालों के लिए राहत भरी खबर सामने आई हैं। दरअसल, अगर आपने भी बैंक से लोन ले रखा हैं। और किसी कारण समय पर चुका नही पा रहे हैं। तो यह खबर आपके बडे़ काम की हैं। आपको बता दें कि लोन नहीं भरने वालों को ये  5 अधिकार मिले हैं। और आरबीआई ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। लोन लेने वाले जरूर जान लें अपने इन अहम अधिकारों के बारे में...
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Loan नहीं चुकाने वालों को RBI ने दी बड़ी राहत, कर्जदार जान लें अपने ये 5 अधिकार

NEWS HINDI TV, DELHI: Loan Default : दरअसल, किसी को भी कर्ज लेना पड़ सकता है। चाहे होम लोन (home loan) हो या पर्सनल लोन, एक बार लोन ले लेते हैं। तो अवधि की समाप्ति तक आपको ईएमआई देना ही होता है. अगर आप लोन की मासिक किस्‍त यानी EMI चुकाने में असफल रहते हैं तो इसका तत्‍काल नतीजा पेनाल्‍टी के तौर पर नजर आता है. हालांकि, इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलते हैं. 

अगर CLXNS (कलेक्शंस) के एमडी एवं सीईओ मानवजीत सिंह के अनुसार, आपको लगता है कि आप समय पर लोन की राशि चुकाने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, तो आप शुरुआत में ही कुछ कदम तैयारियां कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर आप लोन की अवधि बढ़ा सकते हैं, जिससे ईएमआई घट जाती है.

इसी तरह, लोन संबंधी शर्तों को निर्धारित करने से पहले अपने फाइनेंशियल स्थिति को व्यवस्थित करना और लोन का पुनर्गठन (Loan Restructuring) करना भी एक बड़ी मदद हो सकती है. आप फाइनेंशियल इमरजेंसी के कारण अस्थायी राहत का अनुरोध भी कर सकते हैं, लेकिन आपको जुर्माने का भुगतान करना पड़ सकता है.

सिंह कहते हैं कि अगर आप ऐसे उपाय नहीं कर पाए या आप जो कुछ भी कर सकते थे, उसके बाद भी आप लोन का रीपेमेंट नहीं कर पाए हैं तो लोन डिफॉल्टर के रूप में आपको अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए. कानून के अनुसार, वित्तीय संस्थान (Financial Institutions) उधार ली गई राशि की वसूली के लिए कदम उठाता है. हालांकि, उधारदाताओं और बैंकों को ऐसा करते समय मानदंडों का पालन करना होता है. Loan लेने वालों के भी कुछ अधिकार हैं जिन्‍हें जानना जरूरी है.

आपकी बातें सुने जाने का अधिकार-

लोन डिफॉल्टर के रूप में आपको अपनी बात रखने या उसे सुने जाने का अधिकार है. आप लोन अधिकारी को लोन चुकाने में विफलता के कारणों को बताते हुए लिख सकते हैं, खासकर यदि यह नौकरी छूटने या मेडिकल इमरजेंसी के कारण हुआ है. फिर भी, यदि आप लोन राशि का भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं और बैंक से एक आधिकारिक नोटिस मिल चुका है, तो यह आपका अधिकार है कि आप अधिकारियों के समक्ष रिपजेशन नोटिस पर किसी भी आपत्ति के साथ रिप्रेजेंटेशन दे सकते हैं.

कॉन्‍ट्रैक्‍ट की शर्तों का अधिकार-

सिंह के अनुसार, बैंक या कोई भी थर्ड पार्टी वसूली एजेंट दिन के किसी भी समय कर्जदार को लोन राशि चुकाने के लिए परेशान या बाध्य नहीं कर सकता है. आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंकों को वसूली कार्य की आउटसोर्सिंग करते समय एक आचार संहिता का पालन करना होगा और ग्राहकों को अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ संभालने के लिए प्रशिक्षित एजेंटों की नियुक्ति करनी होगी. उन्हें कॉल करने के घंटे और ग्राहक की जानकारी की गोपनीयता के बारे में पता होना चाहिए. रिकवरी का समय और स्थान पहले से तय किया जा सकता है, उदाहरण के लिए सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच.

सभ्य नागरिकों जैसा व्यवहार पाने का अधिकार-

सिंह कहते हैं कि यह आपका अधिकार है कि आपके साथ सभ्यतापूर्वक व्यवहार किया जाए. आप कानूनी तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं यदि बैंक/कर्जदाता के प्रतिनिधि चिल्लाते है या शारीरिक हिंसा कर रहे हैं या धमकी दे रहे हैं. बैंक/कर्जदाता को आपके साथ वसूली एजेंट का विवरण भी साझा करना होगा. एजेंट के पास जाते समय आपकी प्राइवेसी का सम्मान करना चाहिए और सभ्य तरीके से व्यवहार करना चाहिए.

उचित मूल्य का अधिकार-

यदि आप अपना बकाया चुकाने में असमर्थ रहे हैं और बैंक ने भुगतान की वसूली के लिए आपकी संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी है, तो आपको बैंक से इसकी सूचना देने वाला एक नोटिस प्राप्त होना चाहिए. इसमें संपत्ति/एसेट्स के लिए उचित मूल्य, नीलामी के समय और तारीख का विवरण, आरक्षित मूल्य आदि का भी उल्लेख होना चाहिए. लोन डिफॉल्टर के रूप में आपका अधिकार आपको आपत्ति करने का अधिकार देता है यदि संपत्ति का मूल्यांकन कम किया गया है.

आय संतुलन का अधिकार-

यदि संपत्ति की बिक्री के बाद बरामद धन से कोई अतिरिक्त राशि है, तो लोन देने वाले संस्‍थानों को इसे लौटाना होगा. चूंकि संपत्ति या परिसंपत्ति का मूल्य किसी भी समय बढ़ सकता है, इसलिए इसका मूल्य उस राशि से अधिक हो सकता है जो आपको बैंक को चुकाना था. इसलिए, नीलामी प्रक्रिया की निगरानी करना महत्वपूर्ण है.