SBI ने ग्राहक को भेज दिया गलत बिल, इतने लाख की लग गई पेनाल्टी

NEWS HINDI TV, DELHI: अगर आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं तो आपको कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा. नहीं तो आप मुश्किल में फस सकते हैं. आपकी कुछ समझदारी आपको इन मुश्किलों से बाहर निकाल सकती है. क्योंकि ऐसे ही एक मामला सामने आया है जिसमें दिल्ली उपभोक्ता फोरम ने एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर क्रेडिट कार्ड की वैधता खत्म होने के बाद ग्राहक को बिल भेजने पर 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
दिल्ली उपभोक्ता फोरम ने जांच के बाद कंपनी को निर्देश दिया कि वह सर्विस में कमी के लिए ग्राहक को 2 लाख रुपए का भुगतान करें. ग्राहक ने कार्ड्स एंड पेमेंट्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत की थी कि उसका क्रेडिट कार्ड एक्सपायर हो गया है और मेरा कोई भी बिल बकाया नहीं है, इसके वाबजूद भी कंपनी मुझे बिल भेजा. और बिल जमा करने के लिए बार-बार परेशान किया. इसके बाद उसे ब्लैक लिस्ट की सूची में डाल दिया.
सर्विस देने में विफल रही कंपनी-
फोरम ने जांच में पाया कि कंपनी ने ग्राहक को आरबीआई द्वारा बनाए गए विलफुल डिफॉल्टर्स के CIBIL सिस्टम में ब्लैकलिस्ट कर दिया था, जिसके कारण क्रेडिट कार्ड के लिए उनके आवेदन को किसी अन्य बैंक से रिजेक्ट कर दिया गया था, जहां उन्होंने लगभग दो दशकों तक नियमित खाता बनाए रखा था.
इस पर आयोग का विचार है कि एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट्स सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शिकायतकर्ता को सेवाएं प्रदान करने में विफल रही है और हालांकि क्रेडिट रेटिंग के मामले में शिकायतकर्ता को हुई क्षति/हानि को अभी तक पैसे के मामले में नहीं मापा जा सकता है.
इसके अलावा कहा कि कंपनी के खिलाफ दंडात्मक हानि का आदेश दिया जाना चाहिए, इसलिए, कंपनी को दो महीने के भीतर मुआवजे के रूप में 2 लाख रुपए की राशि का भुगतान करके शिकायतकर्ता को मुआवजा दे, ऐसा न करने पर 3 लाख रुपए तक का जुर्माना देना होगा. फोरम ने 20 मई को ग्राहक की मुआवजे की मांग वाली शिकायत पर आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया था कि उसने कंपनी से अनुरोध किया था कि वह अप्रैल 2016 में अपने कार्ड की समाप्ति से पहले रद्द कर दे और इसका रिन्यूएबल न करे.
2016 से नहीं किया कार्ड का इस्तेमाल-
ग्राहक का कहना है कि 9 अप्रैल, 2016 के बाद किसी भी लेन-देन के लिए कार्ड का उपयोग नहीं किया और नियमों के अनुसार कार्ड को नष्ट कर दिया. कार्ड पर उस समय कोई भुगतान भी बाकी नहीं था. सितंबर में शिकायतकर्ता को कंपनी से उसका कार्ड रद्द करने के बारे में एक पत्र प्राप्त हुआ, हालांकि, कंपनी ने कार्ड से संबंधित बिल भेजना जारी रखा. उसके विरोध वाले ई-मेल की अनदेखी की. 18 मई, 2017 तक बिल 2,946 रुपए के थे, जिसमें देर से भुगतान शुल्क और जुर्माना शामिल था.
कंपनी ने दी थी चेतावनी-
कंपनी ने ग्राहक को बिल का भुगतान करने की चेतावनी दी थी अन्यथा इसका “क्रेडिट ब्यूरो द्वारा बनाए गए क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ेगा और भविष्य की क्रेडिट आवश्यकता में बाधा आ सकती है. कंपनी ने उन्हें आरबीआई द्वारा बनाए गए विलफुल डिफॉल्टर्स के CIBIL सिस्टम में आगे ब्लैकलिस्ट कर दिया और उन्हें ऋण या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने में परेशानी हुई. बहस के दौरान कंपनी ने आरोपों से इनकार किया था. इसके बाद ग्राहक को मजबूरन शिकायत करनी पड़ी.