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FD में निवेश करने की होती हैं ये सही लिमिट, इससे ज्यादा निवेश होने पर डूब सकता है पैसा

fixed deposit : अगर आप भी एफडी में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं या फिर FD में निवेश करते हैं। तो यह खबर आपके लिए हैं। आपको बता दें कि FD में पैसा लगाने से पहले आपको निवेश करने की सही लिमिट कर पता होना बेहद जरूरी हैं। इस लिमिट से ज्यादा निवेश होने पर आपका पैसा डूब सकता हैं। जानिए पूरी जानकरी...  
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FD में निवेश करने की होती हैं ये सही लिमिट, इससे ज्यादा निवेश होने पर डूब सकता है पैसा

NEWS HINDI TV, DELHI: बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट (fixed deposit) हमेशा निवेश का लोकप्रिय साधन रहा है। इसमें निवेशकों को न सिर्फ निश्चित रिटर्न मिलता है बल्कि जोखिम भी कम रहता है। लेकिन, वास्तव में ऐसा नहीं है। निवेश सलाहकारों का मानना है कि एफडी को भले ही सबसे कम जोखिम वाला निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन इसकी भी अपनी सीमाएं हैं। इसमें बैंकों के डिफॉल्ट करने पर आपका पैसा डूबने का खतरा रहता है। मैच्योरिटी से पहले फंड निकासी की सुविधा नहीं होती है। महंगाई भी एफडी के ब्याज को प्रभावित करती हैं। ऐसे ही पांच जोखिम हैं, जिनका एफडी कराते समय ध्यान रखना चाहिए।

डिफॉल्ट का जोखिम-  

कुछ स्मॉल को-ऑपरेटिव बैंक के डूबने के मामले सामने आए हैं। ऐसी स्थिति में निवेशकों की जमा पर जोखिम बढ़ जाता है। नए नियम के तहत किसी बैंक के डूबने पर कुल जमा पर 5 लाख रुपये तक इंश्योरेंस मिलता है। ऐसे में अगर किसी बैंक में 15 लाख रुपये का एफडी किया है और वह बैंक डूब जाता है तो आपको अधिकतम 5 लाख रुपये ही मिलेंगे। बाकी 10 लाख रुपये के डूबने का खतरा रहता है।


मैच्योरिटी से पहले फंड निकासी नहीं-

एफडी में एक निश्चित अवधि के लिए निवेश किया जाता है। इस अवधि से पहले आप फंड निकासी नहीं कर सकते हैं। मान लीजिए, आपने टैक्स सेविंग एफडी किया है, जिसकी लॉकइन अवधि पांच साल है तो आप मैच्योरिटी के बाद ही फंड की निकासी कर सकते हैं। मैच्योरिटी से पहले फंड निकासी पर आपको नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, कई बैंक एफडी (fixed deposit) से ऑनलाइन निकासी की सुविधा नहीं देते हैं। ऐसे में फंड निकासी के लिए आपको बैंक शाखा जाकर कागजी कार्यवाही करनी पड़ती है।

अधिक टैक्स का भुगतान-

एफडी पर ब्याज से होने वाली कमाई करयोग्य होती है। इस पर कमाई के साथ जोड़कर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है। हालांकि, अगर आपकी उम्र 60 साल से अधिक है तो आयकर कानून की धारा 80टीटीबी के तहत एफडी पर ब्याज के रूप में होने वाली कमाई पर 50,000 तक की छूट मिलती है।

महंगाई-

महंगाई हर प्रकार के निवेश को प्रभावित करती है और जोखिम भी बढ़ाती है। मान लीजिए, कोई बैंक एफडी (fixed deposit) पर 8 फीसदी ब्याज दे रहा है और उस समय महंगाई की दर 7% है तो आपको जमा पर वास्तविक रिटर्न सिर्फ एक फीसदी ही मिल रहा है। एफडी पर बाजार के उतार-चढ़ाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन, वास्तविक रिटर्न महंगाई के हिसाब से बढ़ता या घटता रहता है।

फिर से निवेश पर कम ब्याज-

एफडी मैच्योर होने पर आपके पास दो विकल्प होते हैं। पहला...आप पैसे निकाल लें। दूसरा...एफडी के रूप में फिर से निवेश कर दें। आप चाहें तो नई एफडी भी खुलवा सकते हैं, लेकिन इस पर उतना ही ब्याज मिलेगा, जो अभी लागू है। इस कदम से आपके दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों पर जोखिम बढ़ जाएगा क्योंकि इस एफडी पर पहले की तरह आपको ज्यादा ब्याज पर नहीं मिलेगा।

महंगाई सहित अन्य कारकों का रखें ध्यान-

एफडी कराते समय महंगाई, डिफॉल्ट, रिटर्न, टैक्स देनदारी की जरूर गणना करें। पूरी रकम कभी भी एफडी में न डालें। ऐसे साधनों में भी निवेश करें, जहां से जरूरत पड़ने पर आपको पूंजी मिल जाए।