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Property Document : सिर्फ रजिस्ट्री कराने से नहीं बनेंगे प्रॉपर्टी के मालिक, ये कागजात भी हैं जरूरी

Property Document : आप जब भी नया घर या जमीन खरीदते हैं तो उसपर मालिकाना हक को साबित करने के लिए रजिस्ट्री करवाते हैं। लेकिन अधिकतर लोगों को प्रॉपर्टी से जुड़े डॉक्यूमेंट की जानकारी कम होती है। जिसके चलते उन्हें लगता है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होने से मालिकाना हक मिल जाता है। लेकिन अधिकतर लोगों को प्रोपर्टी से जुड़े कानून नियम के बारें में जानकारी नहीं होती है. आपको बता दें कि प्रोपर्टी पर मालिकाना हक पाने के लिए रजिस्ट्री नहीं बल्कि इस दस्तावेज का होना बेहद जरूरी है तो आइए जानते है इस दस्तावेज के बारें में...
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Property Document : सिर्फ रजिस्ट्री कराने से नहीं बनेंगे प्रॉपर्टी के मालिक, ये कागजात भी हैं जरूरी

NEWS HINDI TV, DELHI: आजकल प्रॉपर्टी की खरीददारी के मामले में कई बार फ्रॉड के मामले सामने आते हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी खरीदने वाले का पैसा भी फंस जाता है और फिर भी वो उस जमीन या मकान का हकदार नहीं बन पाता। इस तरह के किसी भी फ्रॉड से बचाने में मददगार होता है एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate- EC)। ये उतना ही जरूरी डॉक्‍यूमेंट है जितनी जरूरी किसी प्रॉपर्टी की रजिस्‍ट्री है। अगर आप भी साल 2024 में प्रॉपर्टी खरीदने की योजना बना रहे हैं तो एक बार इस सर्टिफिकेट के बारे में जरूर जान लें।


जानिए क्‍या है Encumbrance Certificate

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Encumbrance Certificate एक ऐसा कानूनी दस्‍तावेज है, जिसके जरिए ये आसानी से पता चल जाता है कि प्रॉपर्टी कानूनी पचड़ों और वित्तीय बोझ से मुक्त है या नहीं। इसमें किसी भी प्रॉपर्टी को लेकर हर जरूरी जानकारी दर्ज होती है- जैसे संपत्ति का मालिकाना हक किसके पास है,

संपत्ति पर कोई थर्ड पार्टी क्‍लेम तो नहीं है, किसी तरह का मुकदमा तो नहीं है, या संपत्ति पर कोई लोन तो नहीं चल रहा और अगर चल रहा है तो उसे चुकाया गया है या नहीं। ये सारी जानकारी आपको इस सर्टिफिकेट के अंदर आसानी से मिल जाती है। इसके अलावा आप जो संपत्ति खरीद रहे हैं उस पर कितने सालों से ट्रांजैक्‍शन चल रहा है और जब से ये संपत्ति बनी है, तब से ये कितने लोगों के पास रह चुकी है और वर्तमान में इसका मालिक कौन है, ये सारी जानकारी इस सर्टिफिकेट में दी जाती है। 

प्रॉपर्टी का सौदा करते समय पड़ती है जरूरत


जब आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं और मालिक के साथ प्रॉपर्टी को लेकर डील करते हैं, तो इस सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है, क्‍योंकि यही इस बात का प्रमाण होता है संपत्ति हर तरह के कानूनी पचड़ों और वित्‍तीय बोझ से मुक्‍त है। 

जब आप प्रॉपर्टी खरीदने के लिए होम लोन लेते हैं, तो आपकी लोन एप्लिकेशन मंजूर करने से पहले बैंक कई बार आपसे एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग कर सकते हैं। ऐसे में भी आपको इसकी जरूरत पड़ सकती है।


अगर आप प्रॉपर्टी खरीदने के लिए अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसा निकालते हैं तो आपका नियोक्ता आपसे एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट की मांग कर सकता है।
जब आप अपनी प्रॉपर्टी का सौदा करते हैं तो खरीददार को एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट दिखाने की जरूरत पड़ती है।

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कैसे बनता है ये सर्टिफिकेट


भारत के तमाम राज्‍यों जैसे आन्‍ध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी आदि में  एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आप ऑनलाइन अप्‍लाई कर सकते हैं। वहीं इसे ऑफलाइन बनवाने के लिए आपको क्षेत्र के तहसीलदार के ऑफिस में जाना पड़ता है। यहां आपको एक फॉर्म भरने के साथ जरूरी दस्‍तावेज जैसे एड्रेस प्रूफ, प्रॉपर्टी की जानकारी, जिसके लिए वो ईसी मांग रहा है,  प्रॉपर्टी के लिए डीड बनाई गई है तो डीड की कॉपी आदि मांगे गए दस्‍तावेजों को जमा करना होगा। इसके बाद एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट जारी होने में 15 से 30 दिनों का समय लगता है। आप 12 से लेकर 30 सालों तक का  एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट बनवा सकते हैं।