High Court ने किराएदारों को दिया तगड़ा झटका, मकान मालिकों को दी राहत

Tenant Landlord : यह तो आप जानते हैं कि मकान मालिक और किराएदारों के बीच झगड़ा होना आम बात है। ऐसे में मकान मालिक और किराएदारों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अहम फैसले सुनाया हैं। और हाई कोर्ट के इस फैसले से किराएदारों को तगड़ा झटका लगा हैं। और मकान मालिकों के हक में सुनाया हैं ये अहम फैसला, जानिए हाई कोर्ट की ओर से आए इस फैसले के बारे में...
 

NEWS HINDI TV, DELHI: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कहा है कि किसी व्यक्ति को केवल बुढ़ापे और खराब स्वास्थ्य के आधार पर आजीविका और सम्मान के साथ जीने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने एक संपत्ति में रह रहे किरायेदार को बेदखल करने के आदेश को भी बरकरार रखा. मकान मालिक ने अपना व्यवसाय चलाने के लिए किरायेदार को बेदखल करने का अनुरोध किया था।

उच्च न्यायालय (High Court) ने मामले की सुनवाई करते हुए किरायेदार की इस दलील को खारिज कर दिया कि मकान मालिक की वृद्धावस्था और स्वास्थ्य को देखते हुए, यह विश्वसनीय नहीं है कि वह उस परिसर से कोई व्यवसाय करेगा जिसे खाली करने की मांग की गई थी।

अदालत ने अतिरिक्त किराया नियंत्रक (एआरसी) के उस आदेश को चुनौती देने वाली किरायेदार की याचिका खारिज कर दी, जिसमें बेदखली का आदेश पारित किया था।

न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने एआरसी के आदेश को बरकरार रखते हुए फैसला सुनाया, “मकान मालिक द्वारा निर्धारित आवश्यकता की वास्तविकता को इस तरह के संदेह के काल्पनिक तर्कों से खारिज नहीं किया जा सकता है। "केवल इसलिए कि मकान मालिक बुजुर्ग है और उसका स्वास्थ्य खराब है, यह नहीं माना जा सकता है कि उसे अपने व्यवसाय को चलाने के लिए किराए के परिसर की आवश्यकता नहीं है या वह आजीविका कमाने में सक्षम नहीं है।"

अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे यह पता चले कि मकान मालिक बिस्तर पर था या स्वतंत्र व्यवसाय में लगा उसका बेटा उसकी आर्थिक देखभाल कर रहा था।

बेंच ने कहा, ‘‘केवल बुजुर्गावस्था और खराब स्वास्थ्य के कारण, किसी व्यक्ति को आजीविका के अधिकार और उसके परिणामस्वरूप सम्मान के साथ जीने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।’’

पहाड़गंज इलाके में एक दुकान का मालिक होने का दावा करने वाले मकान मालिक ने निचली अदालत में याचिका दायर कर किरायेदार को इस आधार पर बेदखल करने की मांग की थी कि अब उसे अपना व्यवसाय चलाने के लिए परिसर की आवश्यकता है।

मकान मालिक ने कहा कि पहले उन्हें अपना व्यवसाय बंद करना पड़ा था, जो एक आवासीय क्षेत्र में चलाया जा रहा था, और उन्हें अधिकारियों द्वारा बवाना में एक भूखंड आवंटित किया गया था, लेकिन उन्होंने अधिक दूरी और अपनी वृद्धावस्था के कारण इसे छोड़ दिया था।

अदालत ने कहा कि प्लॉट बहुत पहले ही सरेंडर कर दिया गया था और यह मकान मालिक के पास दुकान के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उपलब्ध नहीं था।

अदालत ने कहा, "मकान मालिक द्वारा बवाना प्लॉट का सरेंडर, बवाना और उसके घर के बीच लंबी दूरी के कारण किया गया था, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता है कि वह व्यवसाय के माध्यम से अपनी आजीविका कमाने में असमर्थ है।''