Parenting Tips : बदलते दौर में बच्चों की ऐसे करें परवरिश, हर पेरेंट्स जान लें ये टिप्स

parenting tips child care : बच्चों की देखभाल और परवरिश करते वक्त पैरेंट्स को कई जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिससे बच्चों को भविष्य में कोई तकलीफ ना हो, आइए खबर में जानते है उन टिप्स के बारे में विस्तार से।

 

NEWS HINDI TV, DELHI : भारतीय घरों में अक्सर बड़े-बुजुर्ग यह कहते सुनाई देते हैं कि बच्चे पालना कोई बच्चों वाला काम नहीं. उसकी वजह भी है. आज के समय में एक बच्चे की परवरिश करना केवल उसकी जरूरतों को पूरा करना भर नहीं रह गया है, बल्कि बदलते जमाने के साथ मौजूदा परिवेश में पेरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश (Raising children) बहुत ही कठिन टास्क बन चुका है.

आज के दौर में बच्चों को पालने के लिए माता-पिता को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है और उनका खास ख्याल रखना पड़ता है, क्योंकि आज के जमाने के बच्चे न केवल बेहद संवेदनशील होते हैं, बल्कि हाइपरएक्टिव भी हैं.

कब और कौन सी बात बच्चों के दिलों में घर कर जाए, यह कोई नहीं जानता. बच्चों की परवरिश में जरा सी गलती, माता-पिता के सपने को चकनाचूर कर सकती है. इसलिए आज हम आपको बताएंगे पैरेंटिंग के कुछ गोल्डन रूल्स (Some Golden Rules of Parenting), जिसे फॉलो कर आप अपने बच्चों की बेहतर परवरिश कर सकते हैं.

सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी बच्चे के माता-पिता को पैरेंटिंग को एक टास्क की तरह महसूस नहीं करना चाहिए. इसके बजाय पैरेंटिंग को एंजॉय करना चाहिए और इसका आनंद उठाना चाहिए. पैरेंट्स् को ऐसा लगना चाहिए कि वह बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं और उनके साथ जिंदगी के असल रंगों को जी रहे हैं.

अगर आप बच्चों की परवरिश को एक टास्क के रूप में देखेंगे तो शायद ही आप अपने बच्चों की बेहतर परवरिश कर पाएंगे. तो चलिए जानते हैं बच्चों की देखभाल और परवरिश करते वक्त पैरेंट्स को किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

बच्चों पर किसी तरह का दबाव न बनाएं: बच्चों को वह काम करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए, जो उन्हें पसंद नहीं है. किसी भी चीज के लिए बच्चों पर दवाब बनाना गलत होगा.

किसी भी काम के लिए बच्चों पर दवाब न बनाएं, बल्कि उन्हें विकल्प दें और उन्हें खुद चयन करने का मौका भी दें. बच्चों की पसंद और फैसलों का सम्मान किया जाना चाहिए और माता-पिता को अपनी पसंद उस पर नहीं थोपनी चाहिए.


किसी से अपने बच्चे की तुलना करने से बचें : बच्चों को ज्यादा से ज्यादा उत्साहित करते रहना चाहिए. बच्चों की किसी अन्य बच्चे से तुलना करना पैरेंटिंग के नियमों के खिलाफ है. बच्चों के बीच तुलना करना आपके बच्चे के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है.

अगर आप अपने बच्चों से कहते हैं कि तुम बेहतर नहीं हो, तुमसे अच्छा तो वो है, तुमसे अच्छा तो वह कर लेता है, इससे आप बच्चे को हतोत्साहित करते हैं और इससे बच्चे आपके काफी निराश होंगे और उनका किसी भी चीज में मन नहीं लगेगा.


अपने बच्चे को बच्चे ही रहने दें : अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को छोटी-मोटी गलतियों पर भी डांटते रहते हैं और कहते हैं कि तुम अब बच्चे नहीं रहे. मगर पैरेंटिंग का रूल कहता है कि बच्चों को बच्चों की तरह ही ट्रीट करें. बच्चे मासूम होते हैं और उनकी आत्मा पवित्र होती है. तो क्यों न उन्हें वैसे ही रहने दिया जाए जैसे वे हैं.


बच्चों को गलतियां करने दें : कहते हैं इंसान अपनी गलतियों से ही सीखता है. इंसानी जिंदगी में गलतियां स्वाभाविक हैं और उन्हें टाला नहीं जा सकता. गलतियां सबसे होती है, इसमें उम्र का कोई मतलब नहीं.

बड़े भी गलतियां करते हैं और अपनी गलतियों से सबक लेकर फिर सुधार भी करते हैं. ऐसे में बच्चों को उनकी गलतियों के लिए क्यों डांटा जाए, क्यों उन्हें गलतियां करने से रोका जाए. एक पैरेंट के रूप में आप अपने बच्चे को गलती करने दें. अगर बच्चे गलतियां नहीं करेंगे तो वे उनसे सीखेंगे कैसे.

बच्चों के निजी स्थान का सम्मान करें : अक्सर माता-पिता बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज करते हैं और इससे बच्चों के मानसिक विकास पर काफी बुरा असर पड़ता है. पैरेंट्स को हमेशा अपने बच्चों के प्राइवेट स्पेस का सम्मान करना चाहिए.

बच्चों को सपोर्ट की जरूरत होती है, मगर उन्हें जिस चीज की जरूरत होती है, वह है उनका खुद का स्पेस. उनके इंडिविजुआलिटी (एकत्व) को अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए.

बच्चों में न करें भेदभाव : आपके पास अगर एक से अधिक बच्चे हैं तो आपको दोनों में किसी भी तरह का फर्क नहीं रखना चाहिए. चाहे बच्चों को अवसरों से परिचित कराने की बात हो या उन्हें घर के काम करने की, यह सब समान रूप से किया जाना चाहिए. पैरेंट्स को बच्चों के लिंग या जन्म या किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए.

बच्चों से सहज रखें रिश्ता : बच्चों से माता-पिता को एक दोस्ताना रिश्ता रखना चाहिए. आप यह सुनिश्चित करें कि बच्चे आपसे बात करने में सहज महसूस करें. उन्हें समाधान के लिए आपके पास आने से डरना या चिंतित नहीं होना चाहिए. बच्चों से ऐसा व्यवहार रखें ताकि वह कोई भी बात आपसे शेयर करने में झिझक न करे और उनके लिए हमेशा अपने दरवाजे खुले रखें.