Property Rights : बेटा नालायक हो तो भी माता-पिता उसे संपत्ति से नहीं कर सकते बेदखल, आप भी जान लें ये कानून

Son's  Property rights : आपको बता दें कि जैसे-जैसे समय बदल रहा है, बच्चों और माता-पिता के बीच मनमुटाव के मामले सामने आ रहे हैं। अगर बच्चा अपने माता-पिता पर अत्याचार करता है तो उसके मन में सबसे पहला ख्याल यही आता है कि उसे घर से बेदखल कर दिया जाए (संपत्ति कानून)। लेकिन अब बेटा नालायक हो तो भी माता-पिता उसे संपत्ति से बेदखल विशेष परिस्थिति में माता-पिता चाहकर भी बेटे को बेदखल नहीं कर सकते। जानिए क्या कहता है कानून....
 

NEWS HINDI TV, DELHI: अगर आपका बच्चा 'नालायक' है तो आप एसडीएम के पास जाकर उसे संपत्ति से बेदखल करने की अर्जी दाखिल कर सकते हैं. आप बहुत आसानी से अपने बच्चों को अपनी स्व-अर्जित संपत्ति से बेदखल (dispossessed of self-acquired property) कर सकते हैं। यहां अविभाज्य से तात्पर्य यह है कि 18 वर्ष की आयु के बाद आपका बच्चा (संपत्ति अधिकार) आपके साथ और आपके सहारे रहता है।


और इसके साथ ही वह आपको तंग करती है, आपको यातना देती है (bete ka property mein hissa) और आपकी नजर में वह किसी काम की नहीं है। ऐसे में आप अपनी संतान को नालायक कहकर कुछ कागजी कार्रवाइयों के बाद उसे संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं। लेकिन ऐसा केवल आप खुद से कमाई संपत्ति पर ही कर सकते हैं।

पैतृक संपत्ति से जुड़ा कानून:

अगर आपके पिता या दादा कोई संपत्ति (ancestral property rights) छोड़कर गए हैं तो उससे आप अपनी संतान को बेदखल नहीं कर सकते हैं। भले ही वह कितना ही बड़ा नालायक क्यों न हो। पैतृक संपत्ति (ancestral property) में आपकी संतान का अधिकार भी घर के बाकी लोगों की तरह ही होगा। पैतृक संपत्ति से (property will) जुड़ा कानून कहता है कि माता-पिता अपने बच्चों को पैतृक संपत्ति की वसीयत से बाहर नहीं कर सकते। अगर माता-पिता ऐसा करते हैं तो बच्चों के पास कोर्ट जाने का अधिकार है। ऐसे अधिकांश मामलों में कोर्ट बच्चों के (bete ka property me hakk) पक्ष में फैसला देता है।

पैतृक संपत्ति (ancestral property) क्या होती है 

पैतृक संपत्ति (ancestral property) का मतलब दादा-परदादा से विरासत में मिली संपत्ति होती है। पैतृक संपत्ति हमेशा पिता के परिवार की ओर से आई संपत्ति को ही कहा जाता है। यह प्रॉपर्टी कम-से-कम 4 पीढ़ियों से चलती आ रही हो। कानूनी प्रावधानों के अनुसार, बेटे और बेटी (beti ka property mein hakk) दोनों को पैतृक संपत्ति पर समान अधिकार है। एक बात यहां ध्यान देने वाली है कि अगर चार पीढ़ियों से चली आ रही संपत्ति (property law)  में कहीं भी बंटवारा हुआ तो उससे पैतृक संपत्ति (ancestral property) का दर्जा हट जाएगा और वह फिर स्व-अर्जित संपत्ति हो जाएगी। 


इस स्थिति में माता-पिता अपने बच्चों को बेदखल कर सकते हैं। 1956 का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (hindu succession act), विशेष रूप से धारा 4, 8, और 19, पैतृक संपत्ति (ancestral property) से संबंधित मामलों को नियंत्रित करता है।


हिस्सेदारी में बदलाव:

पैतृक संपत्ति (ancestral property) के हिस्से में हर पीढ़ी के साथ बदलाव होता चला जाता है। जैसे-जैसे परिवार बढ़ता है वैसे-वैसे हिस्सेदारी घटती जाती है। अगर परिवार के किसी सदस्य की केवल एक संतान है तो उसका पूरा हिस्सा उस संतान (property ownership law) के हक में जाएगा। वहीं, अगर किसी दूसरे सदस्य की 2 या 3 संतान हैं तो उसका हिस्सा इन लोगों में समान रूप से बंट जाएगा। इस तरह किसी के पास ज्यादा हिस्सा और किसी (son property rights) के पास कम।