High Court : मनचाहे जिले में सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

Allahabad High Court Decision : आज हम आपको इलाहाबाद के मामले के बारे में बताने जा रहे है। जिसमें सरकारी कर्मचारियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दर्ज कराई थी। जिसमें शिक्षक ये चाहते है उनका मनपसंद जिलें में तबादला किया जाए। आपको बता दें कि हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुनाया है। 
 

NEWS HINDI TV, DELHI : आज हम आपको इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक ऐसे मामले के बारे में बताने जा रहे है। जिसमें शिक्षको ने अपने तबादले को लेकर याचिका डाली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है कि स्थानांतरण नीति प्रशासनिक होती है। यह कोई वैधानिक प्रावधान नहीं, जिसे न्यायालय से लागू कराया जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court News ) ने यह भी कहा है कि किसी को मनपसंद जिले में स्थानांतरण का मूल अधिकार नहीं है।

 

 

स्थानांतरण नीति के खंड 5 को अधिक स्पष्ट किया


इसी के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रधानाध्यापिकाओं का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण निरस्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है।  यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने श्रद्धा यादव, मिथिलेश यादव, मीनाक्षी गुप्ता और विवेक कुमार श्रीवास्तव व अन्य कई की याचिकाओं पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय स्थानांतरण नीति में सामान्यतया तब तक हस्तक्षेप नहीं करता, जब तक कि मनमानी न हो। कोर्ट ने स्थानांतरण नीति के खंड 5 को अधिक स्पष्ट करने पर बल दिया।

 

 

 

शिक्षकों के इस मामले के तथ्यों के अनुसार उपर मुख्य सचिव ने दो जून 2023 को 2023-24 की अंतर्जनपदीय स्थानांतरण नीति जारी की। याचियों ने ऑनलाइन आवेदन किया और उनके स्थानांतरण कर दिए गए लेकिन कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस पर याचिकाएं की गईं। बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Council) ने स्थानांतरण निरस्त कर दिया। और फिर कहा गया कि याची पदोन्नत होकर प्रधानाध्यापक हो चुके हैं।


 

कोर्ट ने की सुनवाई

 

अब आपको बता दें कि जिन जिलों में इन शिक्षको का स्थानांतरण किया गया है, वहां इन्हीं के बैच के सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। यदि याचियों का स्थानांतरण किया गया तो असहज स्थिति होगी। सहकर्मी के साथ असमंजसता के कारण कार्य करने में प्रतिकूलता होगी। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि स्थानांतरण निरस्त करना न्यायसंगत नहीं है और स्थानांतरण निरस्त नहीं किया जा सकता। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।