bhuse ka rate : गेहूं की तूड़ी के रेट ने तोड़ा 70 साल का रिकॉर्ड, जानिये आज के रेट
अलवर में पशु आहार और अनाज के भाव एक जैसे हो गए है। 70 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब पशु चारा का भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसे में किसानों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। पूरी जानकारी जानने के लिए जुड़े रहे खबर के साथ अंत तक।
NEWS HINDI TV, DELHI : अलवर में पशु आहार और अनाज के भाव एक जैसे हो गए है। 70 साल में पहली बार ऐसा हुआ है जब पशु चारा का भाव(animal feed price) आसमान छू रहे हैं। ऐसे में किसानों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। अलवर के बानसूर के गांव की 60 साल की बुजुर्ग महिला व पशुपालक रामा देवी ने कहा कि पशुओं का चारा इतना महंगा पहले कभी नहीं रहा। अब 1400 सौ रुपए के आसपास बाजरे का भाव है और 15 सौ से 16 सौ रुपए प्रति क्विंटल ही तूड़ी के भाव(price of tudi) हो गए हैं। इसके कारण पशुपालकों के सामने बड़ा संकट आ गया है।
पशुओं को बाजरा ज्यादा खिला रहे
पशुपालकों का कहना है कि यह सही है कि तूड़ी का भाव बाजरे के भावों के बराबर है। इस कारण पशुओं को बाजरा बराबर दिया जाने लगा है। तूड़ी की कमी है।गांवों में हालत यह है कि तूड़ी मिल भी नहीं रही है। गेहूं व जौ की तूड़ी(broken wheat and barley) आसपास नहीं है। इस कारण हरियाणा व पंजाब से तूड़ी के बड़े डंपर मंगाकर यहां पशुपालकों को बेचा जाने लगा है। कुछ लोग तो पंजाब व हरियाणा से तूड़ी लाकर यहां बेचने का धंधा करने लगे हैं।
पशु आहार भी महंगा
इस समय पशु आहार भी महंगा है। चूरी का भाव 22 सौ रुपए प्रति क्विंटल है। खल 13 सौ रुपए, काकड़ा 42 सौ रुपए और बाजार 16 सौ रुपए के आसपास है। यह सब पहले से महंगा हुआ है। अब तूड़ी भी बाजरे के भावों के बराबर पहुंच गई है। इस वजह से पशुपालक को पशुओं को चराना महंगा हुआ है।
दूध के भाव नहीं बढ़े
पशुपालक का कहना है कि चारा सहित अन्य खाद्य सामग्री बहुत महंगी हो गई है। लेकिन दूध पहले जितना भाव है। गांवों में दूध औसतन 45 से 50 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। जबकि तूड़ी के भाव ज्यादा है। मौजूदा हालात में पशुपालक को बचत नहीं हो रही है। जितना पशु खा रहा है उतने में दूध नहीं बिक पा रहा है। सारे खर्च लगाने पर पशुपालक को घाटा होने लगा है। पशुपालक की यह चिंता बढ़ी है।
असल में पिछली बार सरसों के भाव ज्यादा रहने के कारण इस बार गेहूं व जौ की बुआई बहुत कम है। सरसों का रकबा बहुत ज्यादा है। गेहूं की पैदावार कम होगी तो आगे तूड़ी का उत्पादन भी कम होगा। इस कारण भाव ज्यादा रहने की संभावना है।