High Court Decision: कर्मचारियों के हित में आया हाई कोर्ट का फैसला, इस आधार पर की जाएगी पेंशन गणना

High Court Decision for Employees: कर्मचारियों को हाई कोर्ट की ओर से बड़ी राहत दी  गई है। आइए जानते है क्या है पेशन गणना को लेकर ताजा अपडेट
 

News Hindi TV: दिल्ली,कर्मचारियों को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। राज्य शासन के फैसले के विरुद्ध आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया है। वहीं हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कर्मचारियों के पेंशन की गणना करते समय उनके नियमित सेवा काल को भी उनके कुल कार्य काल में शामिल किया जाए।

 


Employees Pension : कर्मचारी के हित में हाई कोर्ट में बड़ा फैसला दिया है। दरअसल अब उन्हें पेंशन का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए हाई कोर्ट द्वारा नवीन आदेश जारी किए गए हैं। जारी आदेश के तहत ऐसे कर्मचारी जिन्हें स्थाई किया गया है, उनके पेंशन के आंकलन पर हाईकोर्ट ने स्पष्टीकरण दिया है। हाईकोर्ट के आदेश अनुसार अस्थाई से स्थाई हुए कर्मचारियों को गैर नियमित सेवा कार्य का भी पेंशन आकलन करते हुए उनके कुल कार्यकाल में जोड़ा जाएगा। ऐसे में उनके पेंशन में बढ़ोतरी देखी जाएगी।


50 याचिका पर सुनवाई

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा अस्थाई से स्थाई हुए कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला दिया गया है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने निर्णय देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश पेंशन हेतु सेवा और विधि प्रमणिकरण अधिनियम 2021 की धारा 2 के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2019 में बड़ा फैसला दिया गया था। जिसमें प्रेम सिंह मामले में दिए गए फैसले की व्याख्यान करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कार्य प्रभारी कर्मचारी, दैनिक मजदूर और सीजनल संग्रह, अमीन की ओर से अलग-अलग दाखिल 50 याचिका पर सुनवाई की गई है।


शासन का आदेश

याचिका में सरकार के आदेशों को चुनौती दी गई है। जिन्हें पेंशन प्रदान करने के लिए निर्णय लेते हुए गैर नियमित सेवा काल को उनके कुल सेवाकाल में ना जोड़ते हुए उन्हें पेंशन का लाभार्थी मानने से इंकार कर दिया गया था।


हाई कोर्ट का फैसला

वकीलों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट के प्रेम सिंह के मामले में दिए गए फैसले का हवाला दिया है। साथ ही हाईकोर्ट की एकल बेंच ने कहा कि नियमित कर्मचारी की तरह कार्य करने के बावजूद गैर नियमित सेवा कार्य को अस्थाई हो चुके कर्मचारियों के कुल सेवाकाल को ना जोड़ना, उनकी सेवा के साथ अन्याय करना है। ऐसे में कर्मचारियों को गैर न्यायमित सेवाकाल भी पेंशन का आकलन करते समय उनके कुल कार्यकाल में जोड़ा जाना चाहिए।