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Allahabad High Court ने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

High Court Decision : अगर आप भी एक कर्मचारी हैं। तो यह खबर आपके लिए हैं। दरअसल, हाल ही में मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दें कि कर्मचारियों के वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की ओर से एक बड़ा फैसला आया हैं। आइए नीचें खबर में जानते हैं हाई कोर्ट की ओर से आए इस फैसले के बारे में विस्तार से-
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Allahabad High Court ने कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर सुनाया बड़ा फैसला

NEWS HINDI TV, DELHI: कर्मचारियों की वेतन वृद्धि (salary increase of employees) को लेकर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि वेतन वृद्धि की नियत तारीख से एक दिन पहले सेवानिवृत्त होने वाला कर्मचारी भी वार्षिक वेतन वृद्धि पाने का हकदार है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नियम या सरकारी आदेश कर्मचारियों को ऐसे अधिकारों (employee rights) से वंचित करता है तो इसे मनमाना माना जाएगा.

दरअसल, हाई कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट समेत देश के सभी हाई कोर्ट पहले ही फैसला कर चुके हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर आयुक्त मेरठ को आगाह किया है कि वह भविष्य में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय (Supreme Court and High Court) द्वारा तय किए गए मामलों में शासनादेश की आड़ में विद्वता का प्रदर्शन न करें। 

हाईकोर्ट ने नगर निगम मेरठ (Municipal Corporation Meerut) के सेवानिवृत्त कर्मचारी श्रीपाल को सेवानिवृत्ति के वर्ष तक वेतन वृद्धि न देने के नगर आयुक्त मेरठ के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने नगर आयुक्त पर 10 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। श्रीपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर पारित किया।

याचिकाकर्ता का कहना था कि वह 30 जून 2019 को मेरठ नगर निगम में क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति से पहले उन्होंने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2019 तक की अवधि की वेतन वृद्धि दिए जाने की मांग की थी। जिसे नगर आयुक्त ने स्वीकार नहीं किया. इस पर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त को याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया. इसके बाद भी नगर आयुक्त ने 28 दिसंबर 2019 को याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सेवारत कर्मचारियों को वेतन वृद्धि दी जाती है। सेवानिवृत कर्मचारियों को इंक्रीमेंट देने का कोई नियम नहीं है। क्योंकि याची इंक्रीमेंट देने की तिथि एक जुलाई 2019 से ठीक एक दिन पहले 30 जून 2019 को रिटायर हो गया इसलिए वह इंक्रीमेंट पाने का हकदार नहीं है। नगर आयुक्त के इस आदेश को हाईकोर्ट (High Court) में चुनौती दी गई थी। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सहित देश की कई संवैधानिक अदालतों ने यह तय कर दिया है कि यदि कोई नियम जिसमें तकनीकी आधार पर सिर्फ एक दिन पहले सेवानिवृत होने के कारण इंक्रीमेंट से वंचित करता है तो वह मनमाना समझा जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि नगर आयुक्त के समक्ष यह विकल्प नहीं है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णय (High Court decisions) के बावजूद किसी शासनादेश के हवाले से याची को इंक्रीमेंट देने से इनकार कर सके। कोर्ट ने नगर आयुक्त द्वारा इस प्रकरण को निदेशक स्थानीय निकाय को संदर्भित करने और उनसे निर्देश प्राप्त करने की भी कड़ी आलोचना की। कोर्ट ने कहा कि नगर आयुक्त इस प्रकरण पर निर्णय लेने के लिए स्वयं सक्षम है ।फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया यह समझ से परे हैं।

कोर्ट ने नगर आयुक्त को भविष्य में ऐसी बचकानी हरकतें नहीं करने  के प्रति आगाह किया है ।साथ ही  राज्य सरकार और नगर आयुक्त को यह भी आगाह किया है कि वह भविष्य में ऐसे मामलों में जिसे सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णय (Supreme Court and High Court decisions) द्वारा तय किया गया है किसी शासनादेश के आधार पर अपनी विद्वता का प्रयोग ना करें।

कोर्ट ने नगर आयुक्त के इंक्रीमेंट नहीं देने के 28 दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है तथा याची को 1 जुलाई 2018 से 30 जून 2019 की अवधि का इंक्रीमेंट देने और उसके अनुसार उसकी पेंशन में संशोधन कर पेंशन के एरियर का भुगतान करने का निर्देश दिया है।