Property Rights of Daughter : बेटियों का पिता की संपत्ति में होता है कितना अधिकार, हर लड़की को पता होने चाहिए ये अधिकार
NEWS HINDI TV, DELHI: पहले की तुलना में आज महिलाओं के अधिकारों के लिए कई कानून बनाए गए हैं। महिलाओं को हर क्षेत्र में प्रगति मिले, इसके लिए प्रावधान किये जा रहे हैं। लेकिन ऐसा तभी होगा जब वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी। महिलाओं को संपत्ति से जुड़े कई अधिकार हैं। ताजा फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी हिंदू विधवा के माता-पिता को 'अजनबी' नहीं कहा जा सकता और उसकी संपत्ति उन्हें दी जा सकती हैं। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की कई धाराओं (sections of the Hindu Succession Act) का उदाहरण देते हुए यह व्यवस्था दी।
पिछले साल एक और मामले पर अदालत ने अहम फैसले में कहा था कि पिता की संपत्ति पर बेटी का भी उतना ही हक है जितना के बेटे का। यह अधिकार तब भी बरकरार रहेगा चाहे हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 (Hindu Succession Law 2005) लागू होने से पहले पिता की मृत्यु हो गई हो। संपत्ति को लेकर महिलाओं को क्या अधिकार (Property Rights of Daughter) मिले हुए हैं, उनके बारे में हर बहू-बेटी को पता होना चाहिए।
जान लें संपत्ति को लेकर क्या कहता है कानून?
जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 में संपत्ति की दो श्रेणिया हैं: पैतृक और स्वअर्जित (ancestral and self-acquired property)। पैतृक संपत्ति में पुरुषों की वैसी अर्जित संपत्तियां आती हैं जिनका चार पीढ़ी पहले तक कभी बंटवारा नहीं हुआ हो। स्वअर्जित संपत्ति वह होती है जो कोई अपने पैसे से खरीदता है, यह संपत्ति जिसे चाहे उसे दी जा सकती है।
बेटियों को भी है संपत्ति में बराबरी का हक
साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन (Amendment in Hindu Succession Law) हुआ। इसके बाद बेटी को पैतृक संपत्ति में जन्म से ही साझीदार बना दिया गया। बेटियों को इस बात का भी अधिकार दिया गया कि वह कृषि भूमि का बंटवारा करवा सकती है। साथ ही शादी टूटने की स्थिति में वह पिता के घर जाकर बेटे के समान बराबरी का दर्जा पाते हुए रह सकती है यानी पिता के घर में भी उसका उतना ही अधिकार होगा जिनता बेटे को है।
पिछले साल एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों को समान उत्तराधिकारी का दर्जा दे दिया था। इसके बाद बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है।
पैतृक संपत्ति (ancestral property) पर शादी के बाद भी होता है अधिकार:
बता दें कि 2005 के संशोधन के बाद बेटी को हमवारिस यानी समान उत्तराधिकारी माना गया है। अब बेटी के विवाह से पिता की संपत्ति (father's property) पर उसके अधिकार में कोई बदलाव नहीं आता है। यानी, विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार (Daughter's right on father's property) रहता है।
यदि पिता द्वारा न लिखी हो वसीयत:
यदि वसीयत लिखने से पहले पिता की किसी कारणवश मौत हो जाती है तो सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी संपत्ति पर समान अधिकार (Heirs have equal rights on property) होगा। वसीयत लिखने सेप पहले व्यक्ति की मौत के बाद उसकी संपत्ति पर पहला हक पहली श्रेणी के उत्तराधिकारियों का होता है। इनमें विधवा, बेटियां और बेटों के साथ-साथ अन्य लोग आते हैं। हरेक उत्तराधिकारी का संपत्ति पर समान अधिकार होता है। यानी बेटियों को इसमें बराबरी का हक मिलता है चाहे उनकी शादी हुई हो या नहीं।
पिता की स्वअर्जित संपत्ति पर किसका अधिकार?
अगर पिता अपने पैसों से जमीन खरीदता है, मकान बनवाता है या खरीदा है तो वह जिसे चाहे यह संपत्ति दे सकता है। इसमें बेटी का कोई अधिकार नहीं है। पिता चाहे तो किसी के भी नाम वह संपत्ति कर सकता है। अगर वह बेटी को कुछ न दे तो भी वह संपत्ति पर दावा (hoe to claim on property) नहीं कर सकती।
पति की संपत्ति पर महिलाओं का हक?
भारत में हर शादीशुदा महिला को अपने पति के वेतन के बारे में पूरी जानकारी रखने का अधिकार है। हालांकि शादी के बाद पति की संपत्ति पर महिला का हक नहीं होता लेकिन भरण-पोषण का अधिकार मिला है। वैवाहिक विवादों (marital disputes) से संबंधित मामलों में कई कानूनी प्रावधान हैं, जिनके जरिए पत्नी गुजारा भत्ता मांग सकती है।
पैतृक संपत्ति में बेटी का भी होगा हक?
भारतीय कानून के अनुसार संपत्ति को दो श्रेणियों में बांटा (prioperty Divided into two categories) गया है- पैतृक और स्वअर्जित। पैतृक संपत्ति में चार पीढ़ी पहले तक पुरुषों की वैसी अर्जित संपत्तियां आती हैं जिनका कभी बंटवारा नहीं हुआ हो। ऐसी संपत्तियों पर संतानों का, वह चाहे बेटा हो या बेटी, जन्मसिद्ध अधिकार होता है। 2005 से पहले ऐसी संपत्तियों पर सिर्फ बेटों को अधिकार होता था, लेकिन संशोधन के बाद पिता ऐसी संपत्तियों के बंटवारे में बेटी को हिस्सा देने से इनकार नहीं कर सकता। कानूनी तौर पर बेटी के जन्म लेते ही, उसका पैतृक संपत्ति पर अधिकार हो जाता है।
अनुकंपा पर क्या नौकरी पा सकती हैं बेटियां:
पिता की अकस्मात मौत के बाद बेटियों को उनकी जगह अनुकंपा पर नौकरी (job on compassionate grounds) पाने का पूरा हक है। इसमें महिला की वैवाहिक स्थिति मायने नहीं रखती। मद्रास हाईकोर्ट ने 2015 के अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि अगर नौकरी रहते पिता की मौत हो जाए तो विवाहित बेटी भी अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने की अधिकारी होती है।
संपत्ति से जुड़े महिलाओं के अन्य अधिकार:
अगर पिता खुद की कमाई संपत्ति (self owned proiperty) किसी को गिफ्ट करता है तो उसे किसी की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि कानूनी वारिस होने के नाते उस व्यक्ति की पत्नी, बेटा और बेटी इस पर सवाल जरूर उठा सकते हैं। अगर भाई-बहन मिलकर जमीन खरीदते हैं तो यह जरूर सुनिश्चित करें कि प्रॉपर्टी के पेपर्स पर दोनों के नाम हों।