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Supreme Court ने मकान मालिकों को हक में सुनाया बड़ा फैसला, किराएदारों को दिया तगड़ा झटका

Supreme Court Decision : आजकल लोग अपने खाली पड़े मकानों को किराये पर दे देते हैं। और फिर इसके बाद किरायेदार और मकान मालिक के बीच झगड़े होना आम बात है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक अहम फैसला आया है। वहीं आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court )के इस फैसले से किरायेदारों को बड़ा झटका लगा है। और वहीं दूसरी और कोर्ट के इस फैसले से मकान मालिकों को बड़ी राहत मिली है। जानिए विस्तार से-
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Supreme Court ने मकान मालिकों को हक में सुनाया बड़ा फैसला, किराएदारों को दिया तगड़ा झटका

NEWS HINDI TV, DELHI: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने घर खाली करने में आनाकानी कर रहे एक किरायेदार को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि जिनके घर शीशे के बने होते हैं वे दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एक बार फिर साफ हो गया कि मकान मालिक ही घर का असली मालिक होता है. कोई भी किरायेदार (Tenant) किसी मकान में कितने भी दिन क्यों न रहे, उसे यह बात नहीं भूलनी चाहिए। कि वह सिर्फ किरायेदार है घर का मालिक नहीं।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि जस्टिस रोहिंगटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए किरायेदार दिनेश को कोई राहत देने से इनकार कर दिया और आदेश दिया कि उसे परिसर खाली करना होगा. इसके साथ ही कोर्ट (Supreme Court) ने किरायेदार दिनेश को बकाया किराया जल्द से जल्द देने का भी आदेश जारी किया. किरायेदार के वकील दुष्यंत पाराशर ने पीठ से कहा कि उन्हें बकाया किराया राशि जमा करने के लिए समय दिया जाना चाहिए।

इस पर कोर्ट ने किरायेदार को समय देने से साफ इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से आपने इस मामले में मकान मालिक (landlord) को परेशान किया है, कोर्ट किसी भी तरह की राहत नहीं दे सकता. आपको परिसर भी खाली करना होगा और किराया तुरंत देना होगा।

दरअसल, किरायेदार ने करीब तीन साल से मकान मालिक को किराया नहीं दिया था और न ही वह दुकान खाली करने के पक्ष में था. अंततः दुकान मालिक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। निचली अदालत ने किरायेदार को न केवल बकाया किराया चुकाने को कहा था बल्कि दो महीने के भीतर दुकान खाली करने को भी कहा था। इसके साथ ही वाद दाखिल होने से लेकर परिसर खाली करने तक 35 हजार प्रति महीने किराये का भुगतान करने के लिए भी कहा था. इसके बाद भी किरायेदार ने कोर्ट का आदेश नहीं माना.

पिछले साल जनवरी में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने किरायेदार को करीब 9 लाख रुपये जमा करने के लिए चार महीने का समय दिया था, लेकिन किरायेदार ने उस आदेश का भी पालन नहीं किया. इसके बाद किरायेदार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  पहुंचा, जहां से उसकी याचिका खारिज कर दी गई और तुरंत दुकान खाली करने के आदेश जारी कर दिए गए।