Supreme Court ने चेक बाउंस को लेकर सुनाया अहम फैसला, आप भी जान लें
NEWS HINDI TV, DELHI: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि चेक बाउंस के लिए केवल इसलिए किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है क्योंकि वह व्यक्ति उस फर्म में पार्टनर था और लोन के लिए गारंटर बना था. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा एनआई अधिनियम (Negotiable Instrument Act) की धारा 141 के तहत किसी व्यक्ति पर केवल इसलिए कार्रवाई नहीं की जा सकती है क्योंकि साझेदारी अधिनियम (Partnership Act) के तहत दायित्व भागीदार पर पड़ता है.
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने कहा, कि जब तक कंपनी या फर्म अपराध नहीं करती, तब तक धारा 141 के तहत जवाबदेही तय नहीं की जा सकती है. अदालत ने कहा, "जब तक कंपनी या फर्म ने मुख्य आरोपी के रूप में अपराध नहीं किया है, व्यक्ति उत्तरदायी नहीं होंगे और उन्हें प्रतिपक्षी रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जाएगा.
न्यायालय में 33 लाख से ज्यादा चेक बाउंस के मामले:
अदालत एक फर्म द्वारा जारी किए गए चेक के बाउंस होने पर अपीलकर्ता की दोषी ठहराये जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर फैसला कर रही थी जिसमें वह एक भागीदार था. चेक पर किसी अन्य साथी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. शिकायत में फर्म को आरोपी नहीं बनाया गया था. आपको बता दें चेक बाउंस एक बड़ी समस्या है और देश की अदालतों में 33 लाख से ज्यादा चेक बाउंस के मामले लंबित है. जिसमें से 7.37 चेक बाउंस के मामले तो केवल पिछले 5 महीनों में सामने आये हैं. जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कर्ज माफी जैसी ऐसी स्कीम बनाने की नसीहत दी है जिसमें छोटे रकम के चेक बाउंस के मामलों में कानूनी कार्रवाई से छूट दी जा सके.