Supreme Court :पिता को पैतृक संपत्ति बेचने से बेटा रोक सकता है या नहीेेें, सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया साफ
हाल ही में एक मामले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है जिसमे कोर्ट ने 54 साल पहले दायर की गयी एक याचिका को ख़ारिज किया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला किया गया की अगर पारिवारिक क़र्ज़ या कानूनी ज़रूरत क लिए परिवार का मुख्या सम्पत्ति को बेच रहा है तो तो उसे उसका पुत्र या अन्य हिस्सेदार नहीं रोक सकते। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से।
Feb 27, 2024, 11:03 IST
| News Hindi TV, Delhi : कोर्ट ने कहा कि एक बार यह सिद्ध हो गया कि पिता ने कानूनी जरूरतों (legal requirements) के लिए संपत्ति बेची है तो हिस्सेदार इसे अदालत में चुनौती नहीं दे सकते। इस ममाले में पुत्र ने 1964 में अपने पिता के खिलाफ याचिका लगाई थी। मामले के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने तक पिता और पुत्र दोनों इस दुनिया में नहीं रहे। दोनों के उत्तराधिकारियों (successors of both) ने इस मामले को जारी रखा।
कानून में है प्रावधान (There is a provision in the law)
- जस्टिस एएम सप्रे और एसके कौल की पीठ ने कहा कि हिंदू कानून के अनुच्छेद 254 (Article 254 of Hindu Law) में पिता द्वारा संपत्ति बेचने के बारे में प्रावधान है।
- अनुच्छेद 254 (2) में प्रावधान है कि कर्ता चल (doer moving sampatti) /अचल पैतृक संपत्ति (immovable ancestral property) को बेच सकता है। वह पुत्र और पौत्र के हिस्से को कर्ज चुकाने के लिए बेच सकता है लेकिन यह कर्ज भी पैतृक होना चाहिए।
- कर्ज किसी अनैतिक और अवैध कार्य (immoral and illegal actions) के जरिए पैदा न हुआ हो।
कब-कब बेची जा सकती है पैतृक संपत्ति (ancestral property)
- पैतृक कर्ज (ancestral debt) चुकाने के लिए बेची जा सकती है।
- संपत्ति पर सरकारी देनदारी होने पर बेची जा सकती है।
- परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए बेची जा सकती है।
- पुत्र, पुत्रियों के विवाह, परिवार के समारोह या अंतिम संस्कार के लिए बेची जा सकती है।
- संपत्ति पर चल रहे मुकदमे के खर्चे (Expenses of ongoing litigation on property) के लिए बेची जा सकती है।
- संयुक्त परिवार के मुखिया के खिलाफ गंभीर आपराधिक मुकदम (serious criminal case) में उसके बचाव के लिए बेची जा सकती है।