News hindi tv

लोन न चुकाने पर बैंक को देना होता है इतने दिन का नोटिस, जानिए RBI की गाइडलाइन

RBI Guidelines : लोन लेने वाले लोगों के लिए बड़ी अपडेट है कि अगर आपने भी किसी बैंक से लोन लिया है और आप उस लोन को नहीं चुकाया है या किसी कारणवश नहीं चुका सकते हैं तो बैंक द्वारा आपको इतने दिन का नोटिस देना होता है. आईए नीचे इस खबर में जानते हैं इस बारे में आरबीआई की गाडलाइन.
 | 
लोन न चुकाने पर बैंक को देना होता है इतने दिन का नोटिस, जानिए RBI की गाइडलाइन

NEWS HINDI TV, DELHI : अक्सर देखा जाता है कि कोई व्यक्ति व्यापार करने या बढ़ाने के लिए और निजी तौर पर भी लोन( Loan ) ले लेता हैं। कभी-कभी कुछ समस्याएं ऐसी होती है कि ग्राहक लोन चुकाने में असमर्थ( unable to repay loan ) होता है और लोन चुकाने में देरी होने से बैंक ग्राहक के घर कर्मचारी या एजेंट को भेजता है। लेकिन वो आपको धमका नहीं सकते।

रिकवरी एजेंट्स( recovery agents ) की ओर से लोन नहीं चुकाने वाले लोगों को प्रताड़ित करने की रिपोर्ट आने के बाद आरबीआई( RBI guidelines ) ने इस मामले में कुछ वर्ष पहले बैंकों को कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बाद बैंकों ने ग्राहकों के लिए कोड ऑफ कमिटमेंट के तहत बेस्ट प्रैक्टिसेस का स्वेच्छा से पालन करने का फैसला किया।

इन अधिकारों को भी जानें नोटिस का अधिकार -


डिफॉल्ट के मामले में बैंक सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (सरफेसी) एक्ट के बकाया राशि वसूलने के लिए संपत्ति पर कब्जा( possession of property ) करते हैं। 


पहले लोन चुकाने का समय देना होता है। 90 दिनों या इससे ज्यादा समय तक बकाया नहीं चुकाने पर अगर डिफॉल्टर का खाता एनपीए श्रेणी में डाल दिया जाता है तो बैंक को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस देना होता है। इसके अलावा, संपत्ति की बिक्री के लिए उसे 30 दिनों का सार्वजनिक नोटिस देना होता है। इसमें बिक्री की पूरी जानकारी होती है।

तय कर सकते हैं सही मूल्यांकन-


डिफॉल्टर अगर 60 दिनों की नोटिस( Bank Notice ) अवधि के दौरान बकाया भुगतान करने या जवाब देने में असफल रहता है तो बैंक रकम वसूलने के लिए संपत्ति नीलाम करता है। अगर डिफॉल्टर की संपत्ति की कीमत कम आंकी गई है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकता है। इसके अलावा, वह खुद बेहतर कीमत देने वाले खरीदार की ढूंढकर बैंक से मिलवा सकता है।

नीलामी के बाद मिलती है बाकी रकम-


मान लीजिए, डिफॉल्टर की संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये है और उस पर बैंक का 50 लाख रुपये बकाया है। ऐसे में बकाया राशि और अन्य सभी खर्चों की वसूली के बाद उसे बाकी बचे पैसे बकायेदार को लौटाने होते हैं।


नोटिस पर दर्ज करा सकते हैं आपत्ति -


डिफॉल्टर नोटिस अवधि के दौरान संपत्ति पर कब्जे के नोटिस पर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। इस पर अधिकारी को सात दिनों में इसका जवाब देना होता है। अधिकारी अगर आपत्ति खारिज करता है तो उसे इसके वैध कारण बताने होंगे।

पसंदीदा समय और स्थान पर मिलने का अधिकार-


बैंक कर्मचारी या एजेंट को डिफॉल्टर की निजता का ध्यान रखना होता है। वे डिफॉल्टर के पसंदीदा स्थान पर ही मुलाकात कर सकते हैं। जगह नहीं बताने के मामले में कर्मचारी या एजेंट डिफॉल्टर के घर या कार्यस्थल पर जाकर मिल सकते हैं। वह भी सुबह 7 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक।