करने जा रहे हैं Loan Settlement, तो इन बातों का जरुर रखें ध्यान
Loan Settlement : अक्सर लोग बैंक से लोन तो ले लेते है लेकिन जब बात लोन को चुकाने की आती है तो वो इसमें असमर्थ हो जाते हैं तो वो सोचत है अब किसी तरह से इस से पिछा छूट जाए तो उनके पास केवल एक लोन सेटलमेंट का ऑपशन बचता है । अगर आप भी ऐसी स्थिति में है तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ बातें जो आपको लोन सेटलमेंट करने से पहले जरुर जान लेनी चाहिए।
NEWS HINDI TV, DELHI : लोन लेने वाला व्यक्ति जब लोन का भुगतान करने में असमर्थ होता है, तब लोन सेटलमेंट( loan settlement ) की नौबत आती है। ऐसे में बैंक कर्ज लेने वाले के अनुरोध पर लोन सेटलमेंट का प्रस्ताव देता है। इसे वन टाइम सेटलमेंट या OTS कहा जाता है।
ओटीएस( One Time Settlement ) के दौरान कर्ज लेने वाले को प्रिंसिपल अमाउंट तो पूरा चुकाना होता है, लेकिन इंटरेस्ट( loan Interest rate ) अमाउंट, पेनल्टी( Loan penalty ) और अन्य चार्ज में राहत दे दी जाती है। इन्हें या तो आंशिक या पूर्ण रूप से माफ कर दिया जाता है। अगर आपने भी बैंक से लोन लिया है, इसे चुकाने में असमर्थ हैं और लोन सेटलमेंट करना चाहते हैं, तो सेटलमेंट करते समय कुछ बातों को जरूर ध्यान रखें।
इस तरह रखें लोन सेटलमेंट का प्रस्ताव-
बैंक आपको लोन( Bank loan ) सेटलमेंट की अनुमति क्यों प्रदान करे, इसके लिए आपको स्पष्टीकरण तैयार करना होगा। ऐसे में आपके पास लोन सेटलमेंट के लिए ठोस वजह होनी चाहिए, जिससे बैंक को आश्वस्त किया जा सके। इसके बाद बैंक में जाकर बात करें और बताएं कि आप लोन नहीं दे पा रहे हैं, इसे निपटाने के इच्छुक हैं। इसके बाद लोन सेटलमेंट का प्रस्ताव दें।
लोन सेटलमेंट करते समय इन बातों का रखें ध्यान-
लेनदार हमेशा ये चाहता है कि आपसे सेटलमेंट के दौरान भी ज्यादा से ज्यादा राशि ली जा सके, इसलिए आप सेटलमेंट के लिए अपनी तरफ से बहुत कम पेशकश करें। आप अपनी बकाया राशि का 30% से बातचीत करके शुरू करें।
हालांकि बैंक आपको इसके लिए इनकार कर सकता है। बैंक की ओर से आपको लोन सेटलमेंट के लिए 80 प्रतिशत तक राशि का भुगतान करने का प्रस्ताव दिया जा सकता है, लेकिन आपको इसके लिए इनकार करना होगा। इसके बाद बैंक 70 प्रतिशत भुगतान करने के लिए कह सकती है, लेकिन आपको इस प्रस्ताव को भी ठुकराना है।
किसी तरह आपको सेटलमेंट के अमाउंट को 50 प्रतिशत पर लाने का प्रयास करना है। अगर बात बन जाती है, तो लोन को 50% पर फाइनल करें। इससे आपको काफी राहत मिल जाएगी।
समझौते के दौरान लेनदार से ये अनुरोध करें कि वो आपको एक लिखित समझौता भेजें, कि आपका भुगतान ऋण के लिए आपकी किसी भी कानूनी जिम्मेदारी को समाप्त कर देगा।
जान लें लोन सेटलमेंट के नुकसान -
लोन सेटलमेंट की स्थिति में माना जाता है कि उधार लेने वाले के पास लोन को चुकाने के पैसे नहीं थे। ऐसे में उधारकर्ता का क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है। ये 50 से 100 पॉइंट या उससे भी ज्यादा कम हो सकता है। अगर लोन लेने वाला एक से ज्यादा क्रेडिट अकाउंट का सेटलमेंट करता है, तो क्रेडिट स्कोर( credit score ) इससे भी ज्यादा कम हो सकता है।
क्रेडिट रिपोर्ट में अकाउंट स्टेटस( account status ) सेक्शन में इस बात का जिक्र अगले सात सालों तक रह सकता है कि उधारकर्ता का लोन सेटल किया गया। ऐसे में अगले सात सालों तक दोबारा लोन लेना लगभग असंभव हो जाता है। आप बैंक द्वारा ब्लैक लिस्टेड भी किए जा सकते हैं। इसलिए जब भी आप आर्थिक रूप से सक्षम हो जाएं, तब सेटल्ड अकाउंट को क्लोज्ड अकाउंट में बदलने का प्रयास करें।