लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो बैंक ग्राहक जान लें 5 अधिकार, RBI द्वारा जारी गाइडलाइन
RBI News: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बैंक ग्राहकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए नई-नई गाइडलाइन जारी करता रहता है। तो ऐसे में लोन नहीं भरने वालों के लिए भी गाइडलाइन जारी की है। आपको बता दें कि बैंक ग्राहकों को भी आरबीआई की तरफ से बहुत से अधिकार दिए जाते हैं जिनके बारे में ग्राहकों को जानकारी नहीं होती है। जिसके चलते बैंक उन्हें परेशान करते रहते हैं। तो ऐसे में जिन लोगों ने लोन( Loan ) लिया हुआ है और अब वो नहीं चुका पा रहे हैं तो ये खबर उनके लिए फायदेमंद हो सकती है। आज हम इस खबर में बताने वाले हैं लोन न चुका पाने वाले ग्राहकों को मिले अधिकारों के बारे में.
News Hindi TV, Delhi : कोई आम आदमी अपने होम लोन ( Home Loan ) या फिर पर्सनल लोन ( Personal Loan ) की EMI( Equated monthly installment ) नहीं चुका पाता और डिफॉल्ट कर जाता है तो ऐसा नहीं है कि लोन देने वाली कंपनी या फिर बैंक आपको परेशान करने लगे। ऐसे कई नियम हैं, जो उसकी ऐसी हरकत पर लगाम लगाते हैं। आरबीआई( RBI Rules ) का नियम लोगों के लिए राहत लाया है जिन लोगों को लोन चुकाने में दिक्कत आ रही थी, उन्हें राहत देने के लिए आरबीआई ने कई गाइडलाइंस बनाई हैं।
ये लोन डिफॉल्टर्स के लिए एक राहत की तरह है, क्योंकि इसकी वजह से उन्हें लोन चुकाने के लिए अधिक मोहलत मिल जाती है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक धमका या फिर जोर जबर्दस्ती नहीं कर सकता है। अपना लोन वसूलने के लिए रिकवरी एजेंटों की सेवाएं ( Recovery Agent ) ले सकते हैं। लेकिन, ये अपनी हद पार नहीं कर सकते हैं।
इस तरह के थर्ड पार्टी एजेंट ग्राहक से मिल सकते हैं। उन्हें ग्राहकों को धमकाने या जोर जबर्दस्ती करने का अधिकार नहीं है। वे ग्राहक के घर सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच जा सकते हैं। हालांकि, वे ग्राहकों से बदसलूकी नहीं कर सकते हैं। अगर इस तरह का दुर्व्यवहार होता है तो ग्राहक इसकी शिकायत बैंक में कर सकते हैं। बैंक से सुनवाई न होने पर बैंकिंग ओंबड्समैन( Banking Ombudsman ) का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
चलिए जान लेते हैं इन अधिकारों के बारे में-
(1) एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अपने कर्ज की वसूली के लिए कर्ज देने वालों बैंक, वित्तीय संस्थान( financial institution ) को सही प्रक्रिया अपनाना जरूरी है। सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त करने का हक है। हालांकि, नोटिस दिए बगैर बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं। सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सरफेसी) एक्ट कर्जदारों को गिरवी एसेट( mortgage asset ) को जब्त करने का अधिकार देता है।
(2) नोटिस का अधिकार- डिफॉल्ट करने से आपके अधिकार छीने नहीं जा सकते और न ही इससे आप अपराधी बनते हैं। बैंकों को एक निर्धारित प्रोसेस का पालन कर अपनी बकाया रकम की वसूली के लिए आपकी संपत्ति पर कब्जा करने से पहले आपको लोन चुकाने का समय देना होता है। अक्सर बैंक इस तरह की कार्रवाई सिक्योरिटाइजेशन एंड रिस्कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट्स (सरफेसी एक्ट) के तहत करते हैं।
(3) लोन लेन वाले को तब नॉन- परफॉर्मिंग एसेट NPA यानी डूबे हुए कर्ज में डाला जाता है जब 90 दिनों तक वह बैंक को किस्त का भुगतान नहीं करता है। इस तरह के मामले में कर्ज देने वाले को डिफॉल्टर को 60 दिन का नोटिस( Bank Notice ) जारी करना पड़ता है।
(4) अगर नोटिस पीरियड में बॉरोअर भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक एसेट की बिक्री के लिए आगे बढ़ सकते हैं। हालांकि, एसेट की बिक्री के लिए बैंक को 30 दिन और का पब्लिक नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें बिक्री के ब्योरे की जानकारी देनी पड़ती है।
(5) एसेट का सही दाम पाने का हक एसेट की बिक्री से पहले बैंक/वित्तीय संस्थान को एसेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस जारी करना पड़ता है। इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है।बकाया पैसे को पाने का अधिकार अगर एसेट को कब्जे में ले भी लिया जाता है तो भी नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए। लोन की वसूली के बाद बची अतिरिक्त रकम को पाने का लेनदार को हक है। बैंक को इसे लौटाना पड़ेगा।