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FD से होने वाली कमाई पर अब लगेगा इतना टैक्स, जान लें इससे बचने के तरीके

FD News : आप सब जानते होंगे कि एफडी से होने वाली कमाई पर टैक्स लगता है। तो ऐसे में अब आपको FD से हुई इनकम पर इतना टैक्स देना होगा। अगर आप इस टैक्स से बचना चाहते हैं तो आज की ये खबर आपके लिए खास होने वाली हैं। आज हम यहां बताने वाले हैं तीन ऐसे तरीके जिससे आप एफडी से हुई इनकम पर लगने वाले टैक्स से कैसे बच सकते है।

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FD से होने वाली कमाई पर अब लगेगा इतना टैक्स, जान लें इससे बचने के तरीके

NEWS HINDI TV, DELHI: फिक्स्ड डिपॉजिट ( Fixed Deposit ) पर होने वाली ब्याज की कमाई पर टैक्स कटता है। एफडी से ब्याज की कमाई पूरी तरह से टैक्स योग्य है। इसे अपनी कुल आय में जोड़ा जाता है और अपनी कुल आय पर लागू स्लैब( Tax Slab ) दरों पर टैक्स की गणना की जाती है।

इसे आपके आयकर रिटर्न ( income tax return ) में ‘अन्य स्रोतों से आय’ या इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेसज हेड में दिखाया जाता है। उसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स काटता है। लेकिन आप चाहें तो इस कटौती को आसानी से बचा सकते हैं।

आइए सबसे पहले जानें कि बैंक कब और कितना टैक्स काटता है। यदि आप वरिष्ठ नागरिक नहीं हैं और सामान्य जमाकर्ता के तौर पर एफडी( FD News ) ली है और ब्याज की राशि 40,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक आपके खाते में ब्याज जमा करते समय सोर्स पर टैक्स काटता है। वरिष्ठ नागरिक के मामले में यह सीमा 50,000 रुपये है। अर्थात एफडी पर कोई वरिष्ठ नागरिक 50,000 रुपये तक ब्याज कमाता है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट( Income Tax Department ) कोई टैक्स नहीं काटेगा। इसके बाद की ब्याज की कमाई पूरी तरह से टैक्सेबल होगी।

इसलिए यह याद रखना चाहिए कि टीडीएस ब्याज जमा होने के समय काटा जाता है न कि एफडी के मैच्योर होने पर। ऐसे में यदि आपके पास 3 साल के लिए FD है, तो बैंक प्रत्येक वर्ष के अंत में TDS( Tax Deducted at Source ) काटेगा। FD मैच्योर होने पर जमाकर्ता को ब्याज और मूलधन दोनों मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, DIGCI द्वारा 5 लाख रुपये तक की FD का बीमा किया जाता है। अर्थात, अगर बैंक डूबता है तो डीजीसीआई की तरफ से जमाकर्ता को गारंटी के तौर पर 5 लाख रुपये जरूर मिलेंगे।


FD पर टैक्स की गणना कैसे होती है-


एफडी से होने वाली कमाई को इनकम टैक्स रिटर्न( ITR ) में हर साल आपकी कुल इनकम में जोड़ा जाता है। आपको भले ही उस साल ब्याज का पैसा न मिले और एफडी की मैच्योरिटी पर एकसाथ जोड़ कर बैंक पैसा दे, लेकिन आपको हर साल की आईटीआर में इसे दिखाना होता है। बैंक आपके पर टीडीएस( TDS ) काटते हैं जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बाद में एडजस्ट कर देता है।


यदि बैंक एफडी के ब्याज पर टीडीएस नहीं काटता है तो ब्याज की कमाई को आपकी कुल कमाई के साथ जोड़ा जाता है और उसी के हिसाब से टैक्स की गणना होती है। हमेशा ध्यान रखें कि हर साल ब्याज की कमाई को आईटीआर में दिखाएं, न कि एफडी के मैच्योर होने का इंतजार करें। एफडी की मैच्योरिटी पर आपके खाते में मोटी रकम आएगी जिसके चलते आप ऊंचे टैक्स स्लैब में आ जाएंगे। हर साल कम-कम ब्याज दिखाएं तो टैक्स की निचले स्लैब में शामिल होंगे।

इस उदाहरण से समझें-


मान लें सुनील 20% टैक्स ब्रैकेट में आते हैं। उनके पास 6% वार्षिक ब्याज दर पर 3 साल की अवधि के लिए 1,00,000 रुपये की 2 एफडी हैं। पहले साल में, प्रत्येक FD से सुनील की ब्याज आय 6,000 रुपये है। इसलिए पहले वर्ष में कुल ब्याज 12,000 रुपये मिलेंगे। यह पैसा 40,000 रुपये की सीमा से कम है, इसलिए बैंक TDS नहीं काटेगा।

एक और उदाहरण लें। अनुराग के पास 6% प्रति वर्ष की दर से 10 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट है। उन्हें सालाना 60,000 रुपये का ब्याज मिलता है। बैंक पूरे 60,000 रुपये पर 10% यानी 6000 रुपये पर टीडीएस काटेगा। यहां टीडीएस की निर्धारित दर 10% होगी।

इन 3 तरीके से बचा सकते हैं टैक्स( save tax in these 3 ways )-

1- अगर आपकी साल भर की कुल आय ₹2.5 लाख से कम है, तो आप फॉर्म 15G/15H फाइल कर सकते हैं या उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। एफडी के ब्याज की कमाई 2.5 लाख से कम है, इसलिए टैक्स के दायरे में यह कमाई नहीं आएगा। फॉर्म 15G/15H फाइल करने से बैंक TDS नहीं काटेगा। ऐसे में आप FD के ब्याज़ पर कोई इनकम टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं होंगे।

2- आप बैंक के बजाय किसी पोस्ट ऑफिस में अपनी FD खोल सकते हैं। पोस्ट ऑफिस की एफडी पर भी टैक्स काटा जाता है, लेकिन बैंकों के जितना नहीं काटा जाता। डाकघरों में FD की ब्याज़ दर कम है, लेकिन आप टैक्स में बचत कर सकते हैं।

3- आप अपने जीवनसाथी, माता-पिता और बच्चों के नाम से FD में पैसा जमा कर सकते हैं। एफडी से होने वाली ब्याज की कमाई पर टैक्स की गणना प्रत्येक व्यक्ति के लिए उस स्लैब पर की जाती है, जिसमें वे आते हैं। यदि आप अलग-अलग शाखाओं और बैंकों में एफडी खोलते हैं तो टैक्स को बचाना या कम करना संभव हो सकता है।