News hindi tv

RBI ने लागू किया नया नियम, जानें कितनी EMI नहीं भरने पर बैंक कर देगा डिफॉल्टर

अगर आप EMI का भुगतान नहीं करते हैं। तो लोन देने वाला आपको डिफॉल्टर कर सकता है। आपको भुगतान करने के लिए कुछ समय भी देते हैं। नीचें खबर में जानिए पूरी जानकारी...
 | 
RBI ने लागू किया नया नियम, जानें कितनी EMI नहीं भरने पर बैंक कर देगा डिफॉल्टर

NEWS HINDI TV, DELHI: जब आप किसी से लोन लेते हैं तो आप सहमति के अनुसार लोन चुकाने के लिए खुद-ब-खुद कानूनी अनुबंध कर लेते हैं। भले ही आपका उस लोन को चुकाने का इरादा हो, यह भी हो सकता है कि आप उसे समय पर चुका न सको। आप अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में फंस जाते हैं और लोन का रीपेमेंट करना भूल सकते हैं। एक के बाद एक आप और भी रीपेमेंट भूल सकते हैं। इससे पहले कि आप कुछ समझ सकें, आप पर्सनल लोन डिफॉल्टर के तौर पर लेबल हो चुके होते हैं। तो जब आप एक या दो बार किस्त न चुका सको तो क्या होता है? यह जानना महत्वपूर्ण है कि पर्सनल लोन डिफॉल्ट आपको और आपके क्रेडिट हिस्ट्री को कैसे प्रभावित करता है।


लोन डिफॉल्टर कौन है? 

बेशक, अगर एक तारीख पर आप भुगतान करना भूल गए हैं, तो यह आपको डिफॉल्टर नहीं बना देगा। लेकिन यदि आप एक के बाद एक कई ईएमआई का भुगतान नहीं करते हैं तो आपको लोन देने वाला आपको डिफॉल्टर के रूप में रिपोर्ट कर सकता है। उनमें से कुछ आपको भुगतान करने के लिए कुछ समय भी देते हैं। हालांकि, आपसे विलंब शुल्क के रूप में एक निश्चित राशि भी लेते हैं। इससे आपको अपना क्रेडिट स्टेटस सुधारने का एक मौका मिलता है। 


अगर आप ईएमआई का भुगतान न कर सके तो क्या होगा? स्मार्टक्वाइन केसीईओ और सह-संस्थापक श्री रोहित गर्ग के अनुसार, आइए जानते हैं कुछ बातें जिन्हें आपको ध्यान में रखना है-

 

आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होगा:

सभी बैंकों और एनबीएफसी से उम्मीद रहती है कि वह भुगतान न होने पर उसकी रिपोर्ट सिबिल (CIBIL) और इक्विफैक्स जैसे क्रेडिट ब्यूरो को दें। रिपोर्ट होने के बाद, यह आपके सिबिल स्कोर को गंभीर रूप से कम कर देगा और इससे आपके लिए भविष्य में किसी भी प्रकार का क्रेडिट/लोन प्राप्त करना कठिन हो जाएगा।


आपके सह-हस्ताक्षरकर्ता पर असर पड़ेगा:

यदि आप पर्सनल लोन में  सह-हस्ताक्षरकर्ता या गारंटर हैं, तो समय पर भुगतान न होने पर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी उसका प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, उन्हें लोन राशि की वसूली के प्रयास करने की कड़ी में लोन देने वाले और रिकवरी एजेंट्स के कॉल लगातार आते रहेंगे। 


आपकी आर्थिक चिंताएं बढ़ेंगी:

लेट फीस, पेनल्टी, कानूनी लागत, जैसे खर्च अनसेटल्ड लोन बैलेंस में जुड़ जाते हैं, जिससे आपने जो लोन लिया था, उसके मुकाबले भुगतान की जाने वाली राशि बहुत अधिक हो जाती है।  

बैंक या एनबीएफसी कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं:

यदि संस्था आपसे प्राप्त होने वाले भुगतान को वसूल करने में नाकाम रहती है तो वह धन को वसूल करने के लिए कानूनी रूप से आगे बढ़ने का निर्णय ले सकती है। 


लोन देने वाले से बात करें:

ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे साधारण बातचीत से हल नहीं किया जा सकता है। अपने लोन देने वाली संस्था से संपर्क करें और डिफ़ॉल्ट का कारण बताएं। वे कोई ऐसा समाधान भी निकाल सकते हैं जिससे आप दोनों को लाभ हो। आप रीपेमेंट करने के लिए लोन देने वाले से अधिक समय देने का अनुरोध कर सकते हैं। अगर कुछ भी काम नहीं करता है, तो आप बैंक से सेटलमेंट का अनुरोध कर सकते हैं।

अपनी आय बढ़ाने या खर्चों में कटौती करने के तरीके देखें:

अधिक पैसा कमाने के लिए कुछ शॉर्ट-टर्म जॉब्स या फ्रीलांस प्रोजेक्ट्स को एक्सप्लोर करें। यदि वह विकल्प नहीं है, तो योजना बनाने और अपने मासिक खर्चों में कटौती करने पर विचार करें।

डिफॉल्टर के रूप में अपने अधिकारों को जानें:

बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शासित होते हैं। वे अपने ग्राहकों के प्रति प्रतिबद्धता के कोड के हिस्से के तौर पर बेस्ट प्रैक्टिसेस के लिए समर्पित होते हैं। इस वजह से कानून के अनुसार बैंक या बैंकों द्वारा चुने गए रिकवरी एजेंट आपको धमका नहीं सकते या आपको परेशान नहीं कर सकते।


पर्सनल लोन एक असुरक्षित लोन है और यह आपको आपकी चुकाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए दिया जाता है। इस वजह से सहमति के अनुसार लोन चुकाना आपका दायित्व है। ऐसा नहीं करने से आपके क्रेडिट हेल्थ और फाइनेंशियल लाइफ पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।