Credit Card के इस्तेमाल को लेकर RBI ने उठाया बडा कदम, जानिए युजर्स पर पडेगा कैसा असर?
हाल ही में No Cost EMI को लेकर बहुत बडा अपडेट आया हैं। आपको बता दें कि देश में क्रेडिट कार्ड के बढ़ते उपयोग और छोटे-मोटे खर्चों के लिए भी उठाए जाने वाले पर्सनल लोन के चलते आरबीआई पर बहुत गहरा प्रभाव पड रहा हैं। आइए जानते हैं कि आरबीआई ने इसके चलते क्या कदम उठाए हैं.
NEWS HINDI TV, DELHI : मार्केट में जब से ‘No Cost EMI’ या ‘Buy Now Pay Later’जैसे स्मॉल लोन के ऑप्शन आए हैं. लोगों के लिए Apple iPhone से लेकर छोटी-बड़ी कई तरह की शॉपिंग करना आसान हो गया है. लेकिन अब भारतीय रिजर्व बैंक ने इस तरह के स्मॉल पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड के उपयोग को लेकर अपनी नजरें तान ली हैं.
साथ ही बैंकों के लिए इससे जुड़े नियम कड़े कर दिए हैं. तो क्या जल्द ही ‘नो कॉस्ट ईएमआई’ या ‘बाय नाउ पे लेटर’ जैसे ऑप्शन से शॉपिंग होना बंद हो जाएगी?
देश में स्मॉल लोन ‘चॉकलेट’ की तरह बंट रहे हैं. इसमें भी अधिकतर लोन तो 10 हजार रुपए से भी कम राशि के हैं. बैंक भी कॉम्प्टीशन में खूब बढ़-चढ़ कर लोगों को ये लोन बांट रहे हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस बैंकों के बिजनेस के लिए काफी जोखिम भरा बताया है और इसे लेकर वह बैंकों को कई बार चेतावनी भी दे चुका है. अब केंद्रीय बैंक ने इसे लेकर खुद ही कड़ी कार्रवाई की है.
बैंको बेहतर करना होगा रिस्क मैनेजमेंट -
ये छोटे-छोटे लोन एनपीए में कन्वर्ट ना हो. इसलिए अब आरबीआई ने बैंकों को इनके बेहतर रिस्क मैनेजमेंट के दिशानिर्देश दिए हैं. आरबीआई का कहना है कि इस तरह के लोन्स से जुड़े रिस्क के लिए बैंकों को अब पहले से ज्यादा राशि अलग से अपनी बैलेंसशीट में रखनी होगी. यानी बैंक अभी जैसे एनपीए के लिए अलग से राशि का इंतजाम करते हैं, अब उन्हें इस तरह के लोन के लिए भी वैसा ही करना होगा.
सिर्फ इतने भर से काम नहीं चलेगा. बैंकों को एक बोर्ड की निगरानी वाली प्रोसेस भी डेवलप करनी होगी जो फाइनेंशियल सिस्टम में इस तरह के लोन से बढ़ने वाले जोखिम से बचाव करेगी. आरबीआई ने गुरुवार को ही बैंकों, क्रेडिट कार्ड कंपनियों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए ये रिस्क वेटेज बढ़ा दिया है.
इन आंकड़ों ने बढ़ाई RBI की चिंता -
भले ये छोटी-छोटी राशि के लोन हैं, लेकिन आरबीआई को इससे देश के फाइनेंशियल सिस्टम में रिस्क बढ़ने का डर है, क्योंकि ये सभी लोन अनसिक्योर्ड हैं. मतलब कि इन लोन के बदले में लोग कोई भी एसेट गिरवी नहीं रखते. अनसिक्योर्ड लोन से जुड़े आंकड़ों ने भी आरबीआई की चिंता बढ़ाई है. देश में अनसिक्योर्ड लोन लेने की ग्रोथ 23 प्रतिशत रही है, जबकि देश में क्रेडिट लेने की सामान्य ग्रोथ 12 से 14 प्रतिशत ही है.
क्या बंद होगी No Cost EMI?
केंद्रीय बैंक के इस कदम का असर बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर पर सीधा पड़ेगा. बैंकों और फाइनेंस कंपनियों के लिए इस तरह के लोन महंगे हो जाएंगे, जिससे वह बहुत आसानी से इन लोन को देने से बचने की कोशिश करेंगी. वहीं संभव है कि वह ग्राहकों से क्रेडिट कार्ड या अन्य तरह की ईएमआई पर ज्यादा ब्याज लेना शुरू कर दें. हालांकि आरबीआई के ये नियम होम, एजुकेशन, व्हीकल और गोल्ड लोन इत्यादि पर लागू नहीं होंगे.