Success Story : बेटे की बिमारी से पिता ने खोज डाला बिजनेस आइडिया, ऐसे खड़ी कर दी 1100 करोड़ की कंपनी
Success Story : आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की सफलता की कहानी बताने वाले है जिनकी प्रेरणा का स्त्रोत उनका बेटा बना। हम बात कर रहे है डॉ महेश गुप्ता की। डॉ महेश गुप्ता ने केंट आरओ की शुरूआत की और इसकी शुरूआत यूं ही नहीं हुई, बल्कि इसके शुरू होने के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है।
NEWS HINDI TV, DELHI : कठिन परिश्रम ही सफलता की सीढ़ी है। अगर कोई शख्स कुछ करने की ठान लेता तो कोई भी काम असंभव नहीं है। जिंदगी में कोशिश करने पर हर बड़ी से बड़ी सफलता (Success story) हासिल की जा सकती है। दुनिया में बहुत से लोग हैं जो मुसीबतें आने पर परेशान हो जाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इन्हीं मुश्किलों में कामयाबी का रास्ता ढूंढ लेते हैं।
ऐसा ही सफलता का काम कर दिखाया है महेश गुप्ता (Mahesh Gupta) ने। केंट आरओ (Kent RO) के फाउंडर महेश गुप्ता (Mahesh Gupta, Founder of Kent RO) को अपने बच्चे की बीमारी की वजह से वाटर प्यूरीफायर बनाने का आईडिया मिला था। दरअसल गंदा पानी क वजह से महेश गुप्ता के दोनों बच्चों को पीलिया हो गया था। ये वो समय था जब पूरे देश में काफी लोग गंदे पानी की वजह से इस समस्या से परेशान थे।
मार्केट में इस समस्या को दूर करने के लिए कोई अच्छा वाटर प्यूरीफायर (water purifier) नहीं था। महेश गुप्ता ने पाया उस समय बाजार में ज्यादातर वाटर प्यूरिफायर सिर्फ अल्ट्रावायलेट टेक्नोलॉजी पर ही आधारित थे। बस यहीं से महेश गुप्ता को बिजनेस का आईडिया मिला था।
छोड़नी पड़ी नौकरी
महेश गुप्ता ने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering from IIT Kanpur) की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल में उनकी ऑफिसर वाली नौकरी थी। जब बेटे की बीमारी से उन्हें आरओ बनाने का आईडिया मिला तो उन्होंने नौकरी छोड़कर इसपर काम शुरू कर दिया।
इस दौरान उनके पास सिर्फ 20,000 रुपये थे और इसी पूंजी से उन्होंने बिजनेस शुरू किया था। महेश गुप्ता ने अमेरिका से एक मेम्बेर्न और पंप मंगाया, शुरुआत में उन्होंने होम प्यूरीफायर (home purifier) बनाया। लेकिन ये इतना आसान नहीं था। महेश गुप्ता ने 6 महीने तक हर तकनीक को आजमाया लेकिन पानी से अशुद्धियों को अलग नहीं कर सके। 6 महीने तक लगातार कोशिश करने के बाद उन्हें इसका समाधान मिला।
कम कीमत पर बेचा वाटर प्यूरिफायर
इन्होने वाटर प्यूरिफायर बना तो लिया लेकिन उसके बाद उसे बाजार में बेचना उतना आसान नहीं था। केंट आरओ साल 1999 में बनकर तैयार हुआ था। महेश गुप्ता ने पानी की गंदगी को दूर करने क लिए रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) तकनीक की खोज की थी। बाजार में उस समय कई और कंपनियों के आरओ मौजूद थे।
इसलिए बिजनेस को शुरूआत देने के लिए महेश गुप्ता ने कम कीमत पर वाटर प्यूरिफायर बेचना (Selling water purifier at low price) शुरू किया। बेहतर मार्केटिंग के लिए गुप्ता ने हेमा मालिनी को केंट आरओ का ब्रांड एंबेसडर बना दिया। प्रोडक्ट की क्वालिटी को देखते हुए लोगों ने इसे खरीदना पसंद किया और धीरे धीरे यह बिजनेस सफलता के नए आयाम छूने लगा। आज केंट आरओ का बिजनेस वैल्यूशन करोड़ों में है। कंपनी का टर्नओवर 1100 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। अब कंपनी अब आरओ के अलावा और भी कई प्रोडक्ट्स बना रही है।